जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली : 2016 में हैदराबाद युनिवर्सिटी के जिस छात्र रोहित वेमुला की आत्महत्या को मामले की एक जांच रिपोर्ट सामने आई है। इसकी पड़ताल कर रही जांच कमीशन ने अपनी रिपोर्ट को सार्वजनिक कर दिया है।इस रिपोर्ट का दावा है कि रोहित वेमुला ने कॉलेज प्रशासन से तंग आकर अपनी जान नहीं दी थी, बल्की उसकी आत्महत्या का कारण उसकी निजी परेशानियां थी।
रिपोर्ट के अनुसार रोहित वेमुला दलित नहीं थामानव संसाधन मंत्रालय द्वारा गठित इस न्यायिक आयोग की अध्यक्षता कर रहे इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व न्यायधीश ने कहा, ‘रोहित वेमुला ने अपने सुसाइड नोट में निजी कारणों से परेशान होने की बात कही है। साथ ही वह अपनी जिंदगी से नाखुश भी था।’ उसने किसी को भी अपनी मौत के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया है।बता दें कि रोहित की आत्महत्या के बाद राजनीति काफी गरमा गई थी, जिसके चपेट में तत्कालीन मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी और भाजपा नेता बंडारू दत्तात्रेय भी आ गए थे। बताया गया था कि भाजपा नेताओं के दबाव में आकर कॉलेज प्रशासन ने रोहित के खिलाफ कार्रवाई की थी। लेकिन रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर रोहित कॉलेज की कार्रवाई से परेशान होता तो उसका जिक्र अपने सुसाइड नोट में जरूर करता। साथ ही रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि रोहित की आत्महत्या से स्मृति ईरानी और बंडारू दत्तात्रेय का कोई लेना देना नहीं हैं।
रोहित ने 17 जनवरी 2016 को हॉस्टल के कमरे में सुसाइड कर लिया था। इससे पहले रोहित पर एबीवीपी के छात्र नेता को पीटने का आरोप भी लगा था। इसके बाद रोहित को उसके पांच साथियों के साथ कॉलेज से निष्कासित कर दिया था। निष्कासित छात्रों को कॉलेज में रुकने की इजाजत नहीं थी, लेकिन उन्हें लेक्चर और रिसर्च करने की पूरी छूट थी।