प्रदीप शर्मा / नई दिल्ली : ब्रिटिश अखबार द गॉर्डियन को मिले दस्तावेज के अनुसार भारतीय कस्टम विभाग के डॉयरेक्टरेट ऑफ रेवन्यू इंटलीजेंस डीआरआई ने मशहूर कारोबारी घराने अडानी समूह पर फर्जी बिल बनाकर करीब 1500 करोड़ रुपये टैक्स हैवेन देश में भेजने का आरोप लगाया है। गॉर्डियन के पास मौजूद डीआरआई के दस्तावेज के अनुसार अडानी समूह ने महाराष्ट्र की एक बिजली परियोजना के लिए शून्य या बहुत कम ड्यूटी वाले सामानों का निर्यात किया और उनका दाम वास्तविक मूल्य से कई गुना बढ़ाकर दिखाया ताकि बैंकों से कर्ज में लिया गया पैसा विदेश भेजा सके।
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रिपोर्ट के अनुसार अडानी समूह ने दुबई की एक जाली कंपनी के माध्यम से अरबों रुपये का सामान महाराष्ट्र की एक बिजली परियोजना के लिए मंगाया और बाद में कंपनी ने वही सामान अडानी समूह को कई गुना ज्यादा कीमत पर बेच दिया। रिपोर्ट के अनुसार अडानी समूह ने इन सामान की कीमत बिल में औसतन चार गुना ज्यादा दिखायी। डीआरआई ने ये रिपोर्ट साल 2014 में तैयार की थी। गॉर्डियन के अनुसार डीआरआई की 97 पन्नों की ये कथित रिपोर्ट स्क्राइब डॉट कॉम पर उपलब्ध हैं। हालांकि जनजीवन ब्यूरो डीआरआई के दस्तावेज या गॉर्डियन की रिपोर्ट की स्वतंत्र पुष्टि नहीं कर सका है। रिपोर्ट के अनुसार अडानी समूह ने दक्षिण कोरिया और दुबई की कंपनियों के माध्यम से मारीशस स्थित एक ट्रस्ट को पैसा पहुंचाया जिस पर अडानी समूह के सीईओ गौतम अडानी के बड़े भाई विनोद अडानी का नियंत्रण है।
रिपोर्ट के अनुसार अडानी समूह ने जो पैसा विदेश भेजा है उसका बड़ा हिस्सा भारतीय स्टेट बैंक और आईसीआईसीआई बैंक से लोन के तौर पर लिया गया था। डीआरआई ने दोनों बैंकों पर किसी भी गैर-कानूनी गतिविधि का आरोप नहीं लगाया है। हालांकि अडानी समूह ने द गॉर्डियन को भेजे एक बयान में इन आरोपों को पूरी तरह गलत बताया है। कंपनी के बयान में कहा गया है कि अडानी समूह को डीआरआई द्वारा चल रही जांच के बारे में पूरी मालूमात है और वो जांच में पूरा सहयोग कर रहा है।
रिपोर्ट के अनुसार अडानी समूह के खिलाफ बिजली परियोजना के लिए आयात किए गए सामान का कीमत कई गुना बढ़ाकर बताने की रिपोर्ट ईपीडब्ल्यू पत्रिका के 14 मई 2016 अंक में परंजय गुहा ठाकुरता ने की थी। परंजय गुहा ठाकुरता हाल ही में तब चर्चा में आए थे जब अडानी समूह ने ईपीडब्ल्यू की दो रिपोर्ट के खिलाफ पत्रिका को कानूनी नोटिस भेजा था। अडानी समूह ने पत्रिका को भेजे नोटिस में कहा था कि अगर ये रिपोर्ट नहीं हटाए गईं तो मानहानि का मुकदमा करेगा। पत्रिका ने नोटिस के बाद रिपोर्ट हट ली और ठाकुरता ने पत्रिका के संपादक पद से इस्तीफा दिया।