इंद्र वशिष्ठ / नई दिल्ली । दिल्ली में रोजाना हत्या, हत्या की कोशिश, लूट,चेन, पर्स और मोबाइल छीनने और गोली चलने की वारदात जमकर हो रही हैं। ऐसे में क्या आप यकीन करेंगे कि दिल्ली में अपराध कम हो रहे हैं। क्योंकि राज्यसभा में गृहमंत्री ने दावा किया कि दिल्ली में जघन्य अपराध में कमी आई है।
गृह राज्य मंत्री हंसराज गंगा राम अहीर ने राज्यसभा में बताया कि दिल्ली पुलिस ने अपराध की रोकथाम के लिए अनेक एहतियाती कदम उठाए हैं और इस वज़ह से अनेक श्रेणियां के अपराध में कमी आई है। दर्ज जघन्य अपराधों की संख्या साल 2015 में 11187 से घट कर साल 2016 में 8238 तक हो गई है। इस अवधि के जघन्य अपराधों के आंकड़ों की तुलना में 26.36 फीसदी की कमी आई है।साल 2016 में डकैती 38.67 फीसदी , हत्या 7.37 फीसदी, हत्या के प्रयास 16.1फीसदी , लूटपाट 35.72 फीसदी, दंगें 39.23 फीसदी, फिरौती के लिए अपहरण 36.11फीसदी और बलात्कार 2 फीसदी तक कम हुए हैं। दिल्ली पुलिस ने अपराध की वारदात पर नियंत्रण के लिए अपराध संभावित इलाकों की निरंतर पहचान , पुलिस गश्त, पिकेट, पीसीआर/पराक्रम वैन की तैनाती, चैकिंग और सक्रिय अपराधियों पर निगरानी समेत अनेक ठोस एहतियाती कदम उठाए हैं। कांग्रेस के मोती लाल वोरा ने गृहमंत्री से पूछा था कि दिल्ली में निरंतर गिरती कानून व्यवस्था की स्थिति को सुधारने के लिए पिछले दो साल में क्या कदम उठाए गए हैं और क्या यह सच है कि आज़ भी दिल्ली में हत्या,लूट और बलात्कार के मामलों में कोई कमी नहीं आई है। इस सवाल के जवाब में गृह राज्य मंत्री ने आंकड़ों से अपराध कम होने का दावा किया। दूसरी ओर सचाई यह है अपराध के आंकड़े सचाई से कोसों दूर होते हैं।सचाई यह है कि पुलिस में आंकड़ों की बाजीगरी के माध्यम से ही अपराध कम होने का दावा करने की परंपरा है। इसीलिए पुलिस में अपराध की कुल /सभी वारदात दर्ज न करने या हल्की धारा में दर्ज करने की परंपरा कायम हैं।
दिल्ली पुलिस साल 2016 में दर्ज हुए अपराध के 75 फीसदी से ज्यादा मामलों को सुलझा नहीं पाई है। साल 2016 में जघन्य,गैर जघन्य और गैर आईपीसी समेत तीन श्रेणियों में दर्ज हुए कुल 216920 मामलों में से 154647 मामले अनसुलझे हैं।