जनजीवन ब्यूरो
नई दिल्ली । केंद्र सरकार संविधान के अनुच्छेद 355 का इस्तेमाल दिल्ली में करने की तैयारी में है। संविधान के अनुच्छेद 355 के तहत दिल्ली सरकार को संविधान के प्रावधानों के अनुसार काम करने का निर्देश देने का संदेश देना केंद्र सरकार के सामने उपलब्ध विकल्पों में एक है । हालांकि केंद्र में काबिज भाजपा की सरकार इस बात को लेकर सावधान है कि उसका कोई कदम ऐसा नहीं हो कि यह प्रशासनिक मामला राजनीतिक जंग में तब्दील हो जाए और अरविंद केजरीवाल को अपनी आम आदमी पार्टी का और अधिक विस्तार करने का मौका मिल जाए ।
अनुच्छेद 355 के तहत केंद्र सरकार राज्य को यह तय करने के लिए कह सकती है। सूत्रों के मुताबिक, हालांकि यह मात्र विचार-विमर्श के चरण में है कि इस प्रावधान (अनुच्छेद 355) का इस्तेमाल किया जाए या नहीं, अंतिम फैसला किया जाना अभी बाकी है।
उधर उपराज्यपाल नजीब जंग और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बीच छिडी वर्चस्व की जंग थमने का नाम नहीं ले रही है. दोनों के बीच के विवाद के मद्देनजर केंद्र सरकार राज्य को संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार, प्रशासन चलाने का सख्त संदेश देना चाहता है ।
शकुंतला गैमलीन के मुद्दे पर गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी से मुलाकात की थी । इस मुलाकात के बाद उन्होंने कहा था कि उपराज्यपाल नजीब जंग व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल आपसी बातचीत के आधार पर इस विवाद को सुलझायेंगे । राजनाथ के बयान से साफ है कि इस विवाद के राजनीतिक भंवर में वह नहीं फंसना चाहता है ।
दिल्ली के पुनर्गठन के लिए जो संवैधानिक व्यवस्था की गयी थी, उसमें स्पष्ट लिखा है कि उप राज्यपाल व मुख्यमंत्री के बीच टकराव होने पर दोनों अपना पक्ष राष्ट्रपति के पास रखेंगे और इस विवाद में राष्ट्रपति का फैसला अंतिम और मान्य होगा । सूत्रों का कहना है कि विवाद के सहजता से नहीं सुलझने पर इस मामले में राष्ट्रपति भवन सुप्रीम कोर्ट की राय मांग सकता है ।
उधर, प्रदेश भाजपा के नेता दिल्ली में सरकार व उप राज्यपाल के बीच जारी खटपट को लेकर आज राष्ट्रपति से मिल कर हस्तक्षेप की मांग करने वाले हैं. राष्ट्रपति से वे यह कह सकते हैं कि इस तनावपूर्ण स्थिति से राज्य का कामकाज प्रभावित हो रहा है और जनहित को क्षति पहुंच रही है.