जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली । निजता के अधिकार को नागरिक का मौलिक अधिकार पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद केंद्र सरकार यूटर्न ले ली है. कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करती है. रविशंकर प्रसाद ने संवाददाताओं से कहा कि शीर्ष अदालत ने कहा है कि निजता का अधिकार संपूर्ण नहीं है और इसपर तर्कसंगत पाबंदी लगायी जा सकती है.
उन्होंने कहा ‘सुप्रीम कोर्ट ने उस बात की पुष्टि की है जो सरकार ने संसद में आधार विधेयक को पेश करने के दौरान कहा था. निजता को मौलिक अधिकार होना चाहिए लेकिन इसे तर्कसंगत पाबंदी के अधीन होना चाहिये.’
रवि शंकर प्रसाद ने कहा कि सरकार ने डेटा प्रोटेक्शन के लिए एक बड़ी शक्तिशाली कमिटी भी बनाई है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के फैसले से केंद्र सरकार की उस दलील को बड़ा झटका लगा है, जिसमें उन्होंने कहा था कि निजता मौलिक अधिकार नहीं है.
इस फैसले के जरिये ‘निगरानी के जरिये दबाने’ की बीजेपी की विचारधारा को खारिज किये जाने के कांग्रेस के दावों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए प्रसाद ने अपने ट्वीट में कहा, ‘निजी स्वतंत्रता की रक्षा करने में कांग्रेस का क्या रिकॉर्ड रहा है इसे आपातकाल के दौरान देखा गया था.’ प्रसाद ने कहा कि राजीव गांधी ने बयान दिया कि मैं 100 रुपये भेजता हूं और जमीन पर 15 रुपये पहुंचते हैं. लेकिन हम 1000 रुपये भेजते हैं तो 1000 ही पहुंचते हैं.
कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सुप्रीम कोर्ट के बहाने कांग्रेस पर वार किया. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी को अपना होमवर्क सही ढंग से करना चाहिए. यूपीए शासनकाल के दौरान आधार कार्ड पर कोई भी कानूनी सुरक्षा नहीं थी. बीजेपी सरकार ने आधार कानून बनाया और डेटा को सुरक्षित करने के लिए लीगल फ्रेमवर्क विकसित किया. वहीं कोर्ट ने भी आधार पर फैसला नहीं सुनाया है, फैसला निजता के अधिकार पर दिया गया है.
रविशंकर ने कहा कि अगर कोई प्राइवेट बैंक डेटा शेयर करना चाहेगा तो उसे ऐसा आधार एक्ट के तहत करना होगा. निजता पर बात करते हुए रविशंकर प्रसाद इमरजेंसी का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि इस बात की जानकारी सबको है कि इमरजेंसी के दौरान कांग्रेस द्वारा लोगों के व्यक्तिगत अधिकारों का किस तरह सुरक्षा की गई. यही नहीं रविशंकर ने कहा कि राजीव गांधी ने कहा था कि 1 रुपया भेजो तो जमीन पर 15 पैसे पहुंचते हैं वहीं मोदी सरकार में 1 हजार भेजो तो 1 हजार ही पहुंच रहे हैं.
मुख्य न्यायधीश जे.एस. खेहर की अध्यक्षता में 9 जजों की बेंच ने इस फैसले को सुनाया. फैसले में सबसे बड़ी बात यही रही किे सभी जज एकमत रहे, भले ही उन्होंने अपने फैसले के लिए अलग अलग तर्क दिया.