अमलेंदु भूषण खां / नई दिल्ली । साल 2002 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को एक गुमनाम पत्र मिला । उस पत्र को जब खोला गया तो पीएमओ में काम करने वाले कई अधिकारी भौचक रह गए। पत्र में डेरा सच्चा सौदा में रहने वाली दो साध्वी ने तथाकथित गॉड गुरमीत राम रहीम सिंह पर बलात्कार करने और जान से मारने की धमकी का आरोप लगाया गया था। डेरा सच्चा सौदा का मुख्यालय चंडीगढ़ से 260 किमी दूर सिरसा में था।
चिट्ठी में जिन दो साध्वियों का जिक्र था, वो उस बात के मुताबिक बाबा की प्रताड़ना का शिकार हुई थीं। चिट्ठी में कुरुक्षेत्र के एक सेवादार के बारे में भी लिखा गया कि प्रताड़ना के बाद पूरे परिवार ने डेरे से नाता तोड़ लिया। चिट्ठी में लिखा गया था कि अगर मैं अपना नाम पता लिखूंगी तो मुझे मार दिया जाएगा। किसी एजेंसी से मामले की जांच करवाई जाए और पता लगाया जाए कि कहां क्या चल रहा है।
वाजपेयी ने इस गुमनाम पत्र की शिकायत को गंभीरता से लिया और सितम्बर 2002 में सीबीआई को इस मामले में जांच के आदेश दिए। सीबीआई ने जब जांच की तो चिट्ठी में लगाए गए आरोप सही पाए गए।
इसके बाद सीबीआई ने डेरा प्रमुख के खिलाफ केस दर्ज किया और सीबीआई ने विशेष अदालत में 31 जुलाई 2007 को आरोप पत्र दाखिल किया। उस समय गुरमीत राम रहीम को जमानत मिल गई।
साल 2012 से ये केस पंचकुला की अदालत में चल रहा है। पहली सुनवाई जनवरी 2012 में हुई। केस में बाबा राम रहीम का ड्राइवर मुख्य गवाह है और अब तक 200 से ज्यादा सुनवाइयां हो चुकी हैं। 15 साल बाद अब साध्वी यौन शोषण मामले में गवाहियों का दौर पूरा हुआ। 25 अगस्त को जज जगदीप सिंह इस केस का फैसला सुनाएंगे।
साल 2004 में वाजपेयी सरकार की आम चुनाव में हार हो गई और डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व में यूपीए की सरकार सत्ता पर काबिज हुई। जांच और न्याय प्रक्रिया चलती रही लेकिन साल 2014 तक कोर्ट सुनवाई पूरी नहीं कर सकी।
वर्ष 2014 में यूपीए सरकार की छुट्टी हो गई और नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा की सरकार केंद्र में काबिज हुई। लोकसभा और हरियाणा विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने डेरा प्रमुख से सहायता मांगी और राम रहीम ने अपना समर्थन पूरी तरह से दिया। नतीजा यह हुआ कि भाजपा सत्ता में आ गई और मनोहर लाल खट्टर रातों रात सीएम की कुर्सी पर काबिज हो गए।
आज जब रेप केस में फैसला आ रहा है तो केंद्र में एकबार फिर नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा की सरकार है। यानि वाजपेय़ी के द्वारा उठाए गए कदम को सही या गलत नरेंद्र मोदी की सरकार के ठहराएंगे।