जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली । अटल बिहारी वाजपेयी सरकार की नदी जोड़ो परियोजना पर अमल कर भीषण बाढ़ और सूखे की समस्या से मुक्ति दिलाने के लिए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने नदी जोड़ो परियोजना पर तेजी से काम कर रही है. 87 अरब डॉलर की इस महत्वाकांक्षी परियोजना की औपचारिक शुरुआत केन-बेतवा के लिंकिंग योजना से होगी. इस विशाल परियोजना के तहत गंगा सहित 60 नदियों को जोड़ने की योजना है.
हाल ही में भारत और पड़ोसी देश बांग्लादेश और नेपाल के कुछ हिस्सों में भारी बारिश के बाद भयंकर बाढ़ का सामना करना पड़ा है. इसी बीच पर्यावरणविदों, बाघप्रेमियों और विपक्ष के विरोध के बावजूद केन-बेतवा प्रोजेक्ट के पहले चरण के लिए मोदी ने व्यक्तिगत रूप से मंजूरी दे दी है. यह हजारों मेगावाट बिजली पैदा करेगा. इस परियोजना के तहत केन नदी पर एक बांध का निर्माण होगा साथ ही यह 22 किलोमीटर नहर को बेतवा से जोड़ेगा. ये दोनों नदियां भाजपा शासित राज्य मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश से गुजरती है. मोदी सरकार का मानना है कि केन-बेतवा योजना अन्य नदी परियोजनाओं के लिए एक उदाहरण बनेंगी. कहा जा रहा है कि केन-बेतवा इंटरलिंकिंग योजना सरकार की प्राथमिकता सूची में सबसे ऊपर है. सरकारी अधिकारियों का मानना है कि गंगा, गोदावरी और महानदी जैसे विशाल नदियों से पानी को अलग कर बांध और नहरों के निर्माण से बाढ़ और सूखे का समाधान हो सकता है.
भाजपा शासित राज्यों को प्राथमिकता
425 किमी केन नदी जो मध्य प्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व से होते हुए बहती है, सरकार ने बांध के निर्माण के लिए इस जंगल का 6.5 फीसदी भाग खाली कराने का फैसला किया है. इस प्रक्रिया में 10 गांवों से करीब 2,000 परिवारों को स्थानांतरित किया जाएगा. रायटर के अनुसार, कोन-बेतवा को जोड़ने के लिए पर्यावरण और वन संरक्षण सहित लगभग आधे दर्जन से अधिक मंजूरी प्राप्त कर ली गई है. सूत्रों का मानना है कि मोदी कैबिनेट कुछ हफ्तों के भीतर इस परियोजना के लिए अंतिम फैसला ले लेगी. इसके बाद नई दिल्ली से 805 किमी दूर इस स्थल पर निर्माण का झंडा लगा दिया जाएगा, जिसे फिलहाल चिन्हित किया गया है. इसके अलावा, सरकार नर्मदा-गंगा जोड़ने की प्रक्रिया में भी पेपरवर्क पूरा कर चुकी है. यह परियोजना मोदी के राज्य गुजरात और पड़ोसी महाराष्ट्र से होकर गुजरेगी यहां भी दोनों राज्यों में भाजपा की सरकार है.
बता दें कि, भाजपा की अगुवाई वाली सरकार ने नदी-लिंकिंग परियोजनाओं को पहली बार 2002 में प्रस्तावित किया था. देश के आधे हिस्से में बाध के कारण तबाही फैली है ऐसे में हर कोई यह नहीं मानता है कि परियोजनाएं प्राथमिकता होनी चाहिए. भारत, जिसकी आबादी दुनिया की आबादी का 18 प्रतिशत है यहां उपयोग किये जाने वाले जल का केवल 4 फीसदी ही जल है.
पन्ना टाइगर रिजर्व का बड़ा हिस्सा प्रभावित
प्रस्तावित 77 मीटर ऊंचे, केन नदी पर 2 किमी लंबा बांध बनाने की योजना है इससे 9,000 हेक्टेयर की वन भूमि प्रभावित होगी. इसमें पन्ना टाइगर रिजर्व का बड़ा हिस्सा आएगा. यहां 30-35 बाघ और 500 गिद्ध हैं.
विशेषज्ञों का मानना है कि, “एक आरक्षित जंगल में एक बांध का निर्माण एक गंभीर पर्यावरणीय आपदा का निमंत्रण है.” दयूधन गांव जहां के लोगों को विस्थापित किये जाने की योजना है वे इस बारे में अधिक जानकारी की मांग कर रहे हैं. गांव के ही मुन्ना यादव ने कहा, “हमारे गांव में बिजली नहीं है. अगर बच्चों को यहां से विस्थापित किया जाता है और डैम (बांध) से फायदा है तो हम इसका विरोध नहीं करेंगे.