जनजीवन ब्यूरो / पेइचिंग । ब्रिक्स देशों ने अपने घोषणापत्र में आतंकवाद की कड़ी निंदा की है. खासबात यह है कि पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्कर ए तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिज्बुल मुजाहिदीन की भी कड़ी निंदा की गई है. यह घोषणापत्र इसलिए भी अहम है क्योंकि चीन कई बार जैश-ए-मोहम्मद चीफ मसूद अजहर पर यूएन द्वारा प्रतिबंध लगाए जाने की दिशा में अड़ंगा लगा चुका है.इसे भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत माना जा रहा है.
चीन के शायमेन डिक्लेरेशन में लिखा है, ‘हम ब्रिक्स देशों समेत पूरी दुनिया में हुए आतंकी हमलों की निंदा करते हैं. हम सभी तरह के आतंकवाद की निंदा करते हैं, चाहे वो कहीं भी घटित हुए हों और उसे किसी ने अंजाम दिया हो. इनके पक्ष में कोई तर्क नहीं दिया जा सकता. हम क्षेत्र में सुरक्षा के हालात और तालिबान, आईएसआईएस, अलकायदा और उसके सहयोगी, हक्कानी नेटवर्क, लश्कर-ए-तैयबा, जैश ए मोहम्मद, तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान और हिज्ब-उत-ताहिर द्वारा फैलाई हिंसा की निंदा करते हैं.’ बाद में विदेश मंत्रालय की सचिव प्रीति सरन ने बताया कि सभी ब्रिक्स नेताओं ने आतंकवाद की कड़ी निंदा की. आतंकवाद के मुद्दे पर सहयोग बढ़ाने की बात कही. प्रीति के मुताबिक, पहली बार ऐसा हुआ है कि आतंकी संगठनों के नामों का खास तौर पर जिक्र किया गया है.
बता दें कि चीन ने इसी साल जून में भी जैश चीफ पर यूएन कार्रवाई का विरोध किया था. चीन का कहना था कि जैश-ए-मोहम्मद के मुखिया के खिलाफ कदम उठाने के लिए ठोस सबूतों की जरूरत है. वहीं, भारत का कहना था कि उसने अजहर पर प्रतिबंध के लिए ‘ठोस सबूत’ पेश किए हैं और उसमें पाक स्थित इस आतंकवादी की गतिविधियों का पूरा ब्योरा है. बता दें कि पेइचिंग ने पठानकोट आतंकी हमले में अजहर की भूमिका के लिए उसे आतंकवादी घोषित करने के अमेरिका और अन्य देशों के संयुक्त राष्ट्र में प्रयासों पर तकनीकी रोक लगा रखी है. पिछले साल चीन ने अजहर को आतंकवादी का दर्जा देने के भारत के आवेदन पर भी तकनीकी रोक लगा दी थी.