जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली : पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर ए तैयबा को आतंकवादी संगठन को ब्रिक्स के घोषणापत्र में रखे जाने पर चीन के कदम की सराहना हो रही है, लेकिन कई तरह के सवाल भी उठ रहे हैं. क्या आगे चलकर जैश-ए-मोहम्मद के मुखिया मौलाना मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र में प्रतिबंधित आतंकवादी घोषित करवाने में चीन भारत का साथ देगा? अब तक चीन अपने वीटो का इस्तेमाल कर इसमें अड़ंगा लगाता रहा है.
जैश-ए-मोहम्मद पठानकोट समेत भारत में हुए कई आतंकवादी हमलों का जिम्मेदार माना जाता है और संयुक्त राष्ट्र में उसे पहले ही प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन घोषित किया जा चुका है. जैश-ए-मोहम्मद के मुखिया मौलाना मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र में प्रतिबंधित आतंकवादी घोषित करने में चीन अब तक अड़ंगा लगाता रहा है. अगर प्रतिबंध लगा तो अजहर की संपत्ति सीज हो जाएगी, उसकी विदेश यात्रा पर रोक लग जाएगी. दुनिया में अकेले चीन इस कोशिश का हमेशा विरोध करता रहा है. इसे पाकिस्तान के प्रति उसकी दोस्ती से जोड़कर देखा जाता है.
इसके बाद वन बेल्ट वन रोड पर सम्मेलन का भारत की ओर से बायकॉट किए जाने के बाद डोकलाम में तनाव तेज होने से यह समझा जा रहा था कि चीन और भारत में टकराव बढ़ेगा, लेकिन जुलाई में जर्मनी के हैम्बर्ग में जी-20 सम्मेलन के दौरान ब्रिक्स देशों के नेताओं की अलग से अनौपचारिक बैठक हुई थी, जिसमें सम्मेलन की तैयारियों और प्राथमिकताओं पर बातचीत की गई थी. इस बैठक में मोदी और चीन के राष्ट्रपति ने एक-दूसरे की जमकर तारीफ की थी. सूत्र बताते हैं कि दोनों नेता अलग से भी मिले और डोकलाम विवाद को जल्द सुलझाने पर जोर दिया.
ब्रिक्स सम्मेलन से ठीक पहले चीन और भारत डोकलाम से अपनी सेनाओं को हटाने पर सहमत हो गए. चीन ने गुरुवार को कहा था कि पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद पर भारत की चिंताओं पर ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में चर्चा नहीं होगी. इसके बावजूद पीएम ने रेस्ट्रिक्टिव सेशन में इसका जिक्र किया. 2016 में गोवा में हुए ब्रिक्स सम्मेलन में भी पीएम ने आतंकवाद का जिक्र किया था.