जनजीवन ब्यूरो / इस्लामाबाद/लाहौर । पाकिस्तान चुनाव आयोग ने आतंकी हाफिज सईद की राजनीतिक पार्टी जमात उद दावा के मिल्ली मुस्लिम लीग (एमएमएल) को मान्यता देने से इंकार कर दिया और उम्मीदवारों को चुनावी अभियान में पार्टी के नाम के उपयोग न करने की चेतावनी दी।
पाकिस्तान चुनाव आयोग के अनुसार, ऐसी पार्टी के पास किसी तरह की कानूनी वैधता नहीं और आयोग ने एमएमएल नाम की पार्टी के लिए किसी प्रतीक का आवंटन नहीं किया।
आयोग ने आगे बताया, ‘बल्ब के प्रतीक के साथ निर्दलीय उम्मीदवार शेख मोहम्मद याकूब एनए-120 उपचुनाव लड़ रहे हैं। उम्मीदवार जिस पार्टी का नाम उपयोग कर रहे हैं वह रजिस्टर्ड नहीं है।‘ ऐसे उम्मीदवार को नोटिस जारी करने का निर्देश रिटर्निंग आफिसर को दे दिया गया है नहीं तो उम्मीदवार के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
आयोग की ओर से यह भी कहा गया कि जो भी ऐसा कह रह हैं कि चुनाव आयोग ने पार्टी प्रतीक जारी कर दिया है और वे रजिस्टर्ड हैं तो यह पूरी तरह गलत और आधारहीन है।
चुनाव आयोग ने आतंकी हाफिज सईद की इस पार्टी को मान्यता देने से इसलिए इंकार किया है क्योंकि पार्टी के पोस्टरों में खुलकर हाफिज सईद की तस्वीर का इस्तेमाल हो रहा था। आयोग ने सईद की तस्वीरों पर भी रोक लगा दी है।
बता दें कि पिछले 6 माह से आतंकी हाफिज सईद पाकिस्तान में नजरबंद है। क्योंकि अमेरिका ने पाकिस्तान पर दवाब बनाया था कि अगर वो जमात-उद-दावा चीफ के खिलाफ एक्शन नहीं लेगा तो पाकिस्तान पर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा।
गौरतलब है कि मुंबई के 26/11 आतंकवादी हमले का हाफिज सईद मास्टरमाइंड है और भारत इसके खिलाफ लगातार कार्रवाई की मांग कर रहा है लेकिन पाकिस्तान की ओर से उसके खिलाफ अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।
आपको बता दें कि हाफिज सईद ने राजनीति में कदम रखने के मकसद से पिछले महीने ही पार्टी बनाई थी। वो पिछले छह महीने से पाकिस्तान में ही नजरबंद भी है। हाफिज के संगठन जमात-उद-दावा ने पाकिस्तान चुनाव आयोग में ‘मिल्ली मुस्लिम लीग’ के नाम से सियासी पार्टी को मान्यता देने के लिए अर्जी लगाई थी।
कहा जा रहा है कि ये कार्रवाई अमेरिका की उस चेतावनी के बाद की गई है जिसमें अमेरिका ने फटकार लगाते हुए कहा था कि अगर जमात-उद-दावा के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई तो वो पाकिस्तान पर प्रतिबंध लगा देगा।
दरअसल इस वक्त पाकिस्तान में राजनीतिक सियासी उठापटक का दौर जारी है, पनामा मामले में नवाज शरीफ को पीएम की कुर्सी गंवानी पड़ी थी। ऐसे में हाफिज सईद अपने लिए जगह बनाने की जुगत में हैं। पाकिस्तान की पॉलीटिकल पार्टीज भी नहीं चाहती हैं कि हाफिज चुनावी मैदान में उतरे।