जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली: सिर से जुड़े ओडिशा के दो जुड़वां बच्चों को आईसीयू से एक वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया है. न्यूरोसर्जरी के प्रोफेसर डा. दीपक गुप्ता ने कहा कि जुड़वा बच्चे अब स्वस्थ है और इन्हे सामान्य खाना दिया जा रहा है और वे अपने पेरेंट्स से अच्छे से बातचीत कर रहे है. आने वाले सप्ताह में आगे की सर्जरी पर निर्णय लेने के लिए कुछ और टेस्ट होंगे.
इन बच्चों को अलग करने के लिये पिछले महीने उनकी पहली सर्जरी की गयी थी. एम्स में न्यूरो साइंस सेंटर के प्रमुख डा. ए के महापात्रा ने बताया कि ये जुड़वां बच्चे जगन्नाथ और बलराम ओड़िशा के कंधमाल जिले के रहने वाले है. इन बच्चों को अस्पताल के एक वार्ड में शिफ्ट किया गया है और इनके पेरेंट्स अब उनके साथ है.
विशेषज्ञ डॉक्टरों की एक टीम ने इन बच्चों द्वारा साझा की जाने वाली नसों को अलग करने के लिए 28 अगस्त को 22 घंटे तक लम्बी बाईपास सर्जरी की थी. इन नसों से मस्तिष्क से दिल तक खून वापस पहुंचता है. इस प्रक्रिया में एम्स में न्यूरोसर्जरी, न्यूरो -एनेस्थीसिया और प्लास्टिक सर्जरी विभागों के लगभग 40 विशेषज्ञों की एक टीम और जापान से एक विशेषज्ञ शामिल थे.
इन बच्चों के मस्तिष्कों को अंतिम रूप से अलग करने से पहले एक या दो और आपरेशनों की जरूरत होगी. डॉक्टर ने बताया कि इनकी एक और सर्जरी अक्टूबर के अंत में होगी. जुड़वा बच्चों को 13 जुलाई को एम्स में शिफ्ट किया गया था.
भुइया कंहरा और उनकी पत्नी पुष्पांजलि कंहरा ओडिशा के कंधमाल ज़िले के रहने वाले हैं. पेशे से किसान कंहार परिवार ने अपने बच्चों का शुरू में कटक के एससीबी मेडिकल कॉलेज में इलाज कराने की कोशिश की. लेकिन जब ये कोशिशें सफ़ल नहीं हुईं तो भुइया कंहार अपने बच्चों को लेकर वापस अपने गांव चले गए.
भुइया कंहार बताते हैं, “मैं पेशे से किसान हूं. जब मैं अपने बच्चों को लेकर कटक पहुंचा तो डॉक्टरों ने हमें कहा कि कुछ नहीं हो सकता. ये सुनकर तो हमारी उम्मीद ही टूट गई. हमने अपना सब कुछ लगा दिया. लेकिन कुछ नहीं हो रहा था. फ़िर थक-हारकर हम अपने बच्चों को लेकर वापस अपने गांव आ गए.”
कटक के अपने गांव मिलिपाडा पहुंचे भुइया कंहार अपने बच्चों के ठीक होने की पूरी उम्मीद खो चुके थे, लेकिन फ़िर एक मीडिया रिपोर्ट में इन बच्चों का ज़िक्र हुआ. इसके बाद ज़िला प्रशासन ने ज़रूरी कदम उठाकर बच्चों को दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान यानी एम्स में बच्चों का इलाज कराने के लिए ज़रूरी बंदोबस्त किया.
भुइया ने अपना अनुभव साझा करते हुए बताया, “हम उम्मीद खो चुके थे. पूरी तरह निराश थे. लेकिन जब मीडिया में रिपोर्ट आई तो राज्य सरकार और ज़िला प्रशासन ने हमारी मदद की. राज्य सरकार ने हमारे बच्चों के इलाज के लिए एक करोड़ रुपये की राशि भी जारी की है. अब हम एम्स में हैं. अगले महीने अमरीका से एक सर्जन आने वाले हैं. अब हमारी उम्मीद जगी है कि हमारे बच्चे ठीक हो जाएंगे.”