जनजीवन ब्यूरो / बैंकॉक । बीते हफ्ते एक फोटो म्यांमार में बहुत वायरल हुई , जिसमें एक टोपी पहने कुछ लोग जलते हुए घरों को देख रहे हैं। इस फोटो के बारे में यह बात फैलाई गई कि खुद रोहिंग्या मुस्लिमों ने अपने घरों में आग लगाई है। इलाके के पास एक बौद्ध मठ के मठाधीश ने दावा किया कि उन्हें पता है यह आग किसने लगाई है और उनके पास इसे साबित करने के लिए तस्वीर भी है। लेकिन अब इस तस्वीर की हकीकत सामने आ गई है और यह दावा पूरी तरह झूठा साबित हो गया है।
रखाइन राज्य में पहुंचे मीडियावालों को जॉटिका (मठाधीश का नाम) ने बताया कि उन्होंने लोगों को आग लगाने से मना किया लेकिन ऐसा लगा जैसे उन्हें आग लगाने में मजा आ रहा हो। 25 अगस्त से जारी हिंसा की वजह से लगभग 3 लाख रोहिंग्या मुसलमान यहां से भाग चुके हैं।
जॉटिका के बयान के बाद उनके करीबी और मठवासी मॉन्ग मॉन्ग ने फोटो शेयर की और कहा कि उन्होंने यह तस्वीर अपने सेलफोन से क्लिक की है। फोटो में कुछ लोग इमारत में आग लगाते हुए नजर आ रहे थे।
हालांकि, आग के पीछे रोहिंग्याओं का हाथ होने की खबर तब झूठी साबित हो गई जब कुछ पत्रकारों ने फोटो में दिखने वाले लोगों की पहचान पास में रहने वाले हिंदुओं के तौर पर की। सरकारी अधिकारियों ने इन लोगों को पास के ही एक स्कूल में रखा है। स्कूल उन विस्थापित हिंदुओं से भरा हुआ है जो कहते हैं कि उनका घर रोहिंग्या मुस्लिमों ने जला दिया है।
मठ के लोगों की ही तरह म्यांमार सरकार भी लगातार यही दावा करती आ रही है कि रोहिंग्या मुस्लिमों ने उत्तरी रखाइन में अपने घरों को खुद आग लगाई है और वहां रहने वाले बौद्धों और हिंदुओं पर हमला किया है। दूसरी तरफ रोहिंग्या मुस्लिमों का दावा है कि बर्मा के सुरक्षाबलों और बौद्धों की भीड़ ने उनपर हमला किया और उनके घरों को आग के हवाले कर दिया है। अभी तक इस हिंसा में मरने वालों की संख्या 400 तक पहुंच चुकी है।