जनजीवन ब्यूरो
नई दिल्ली / मद्रास। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना को लेकर आईआईटी मद्रास द्वारा एक छात्र संगठन पर बैन लगाए जाने की घटना पर अब विवाद खड़ा हो गया है। एक तरफ जहां एनएसयूआई ने मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी के आवास पर प्रदर्शन किया वहीं राष्ट्रीय जनता दल प्रमुख लालू प्रसाद ने इसे दलितों का अपमान बताया है।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री और केंद्र सरकार की नीतियों की आलोचना को लेकर आईआईटी मद्रास ने दलित स्टूडेंट्स संगठन के एक फोरम पर बैन लगा दिया। छात्र समूह के खिलाफ मिली एक अज्ञात शिकायत के बाद संस्थान ने यह फैसला किया है। शिकायत में कहा गया है कि यह छात्र समूह हिंदी के इस्तेमाल और गोमांस को लेकर केंद्र सरकार की नीतियों पर एससी-एसटी छात्रों को बरगला रहा था।
आईआईटी कैंपस में आंबेडकर-पेरियार स्टूडेंट सर्कल (एपीएससी) की गतिविधियों के बारे में मिली शिकायत के बाद मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने जांच कराई। इस जांच के बाद आईआईटी ने स्टूडेंट सर्कल पर प्रतिबंध लगाया। एचआरडी मंत्रालय को मिली शिकायत में एपीएससी के पैंफलेट को संग्लन किया गया था, जिसमें मोदी सरकार और उसकी नीतियों की आलोचना की गई थी।
15 मई को आईआईटी डायरेक्टर को भेजे एक लेटर में अंडर सेक्रटरी प्रिस्का मैथ्यू ने लिखा कि कुछ अज्ञात छात्रों द्वारा मिली शिकायत और इसके साथ संग्लन एक पैंफलेट भेज रहा हूं। इस मामले में बारे में जितना जल्दी हो सके, एचआरडी मिनिस्ट्री को संस्थान का पक्ष भेजें। एक सप्ताह बाद 24 मई को आईआईटी डीन (छात्र) एसएम श्रीनिवासन ने आंबेडकर-पेरियार स्टूडेंट सर्कल के कोऑर्डिनेटर को भेजे मेल में उन्हें सूचित किया कि सर्कल को अमान्य घोषित किया जाता है।
वहीं एपीएससी के सदस्यों का कहना कि एचआरडी मिनिस्ट्री और आईआईटी का फैसला दक्षिणपंथी समूहों की शिकायत के आधार पर किया गया है। एपीएससी सदस्यों का कहना है कि अज्ञात पत्र में की गई शिकायत के आधार पर भला कैसे बहुसंख्यक छात्रों की आवाज को दबाया जा सकता है। एपीएससी के एक सदस्य का कहना है, हम इस पर आपत्ति दर्ज कराते हैं कि हमें अपनी सफाई का मौका तक दिए बिना ही सर्कल को अमान्य घोषित कर दिया गया।
समूह का कहना है कि हम डीन से मिले तो उनका कहना था कि सर्कल विवादास्पद गतिविधियों में शामिल है। हमारा रुख साफ है, हमने संस्थान द्वारा मिली सुविधाओं का दुरुपयोग नहीं किया है। एपीएससी का गठन एक डिस्कसन फोरम के तौर पर 14 अप्रैल 2014 को किया गया था। यह छात्र समूह आंबेडकर पेरियार की विचारधारा और लेखन को प्रमोट करने के मकसद से काम कर रहा था। स्टडी सर्कल कैंपस में सामाजिक-आर्थिक और राजनैतिक मुद्दों पर चर्चा-परिचर्चा आयोजित कराता रहा है।
शिकायत में एपीएससी के जिस पैंफलेट को भेजा गया था, उसमें द्रविड यूनिवर्सिटी के प्रफेसर आरवी गोपाल का आंबेडकर की प्रासंगिकता विषय पर दिए गए भाषण का हिस्सा था। इसमें उन्होंने मोदी सरकार को उद्योपतियों की सरकार बताया था और केंद्र सरकार के कई बिलों की आलोचना की थी। पैंफलेट में घर वापसी कार्यक्रम और गोमांस पर प्रतिबंध जैसे मसलों का भी जिक्र है।