जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली। जीएसटी पर व्यापारियों के विचारों व उनके अनुभवों से सरकार को रूबरू कराने के लिए देशभर के कारोबारी 19 सितंबर को यहां मंथन करेंगे। फेडरेशन आफ आल इंडिया व्यापार मंडल के नेतृत्व में कन्स्टीट्यूशन क्लब मे आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम में देश के सभी छोटे-बड़े कारोबारियों को आमंत्रित किया गया है। कार्यक्रम में जीएसटी के विशेषज्ञों, चार्टड एकाउंटेंटस और कानून के जानकारों को खासतौर पर बुलाया गया है।
व्यापार मंडल के राष्ट्रीय महामंत्री वी के वंसल ने बताया कि देश में नई कर व्यवस्था का लागू हुए 2 महीने से अधिक का समय बीत चुका है। इस दौरान बड़ी संख्या में देश भर का व्यापारी समुदाय इससे जुड़ चुका है और यह सिलसिला अभी भी जारी है। चूंकि कर प्रणाली नई है, इसलिए इससे जुड़़ी समस्याएं भी पहली दफा व्यापारियों के सामने आ रही हैं। ये ऐसी समस्याएं ऐसी हैं जिनका समाधान अभी विशेषज्ञों और चार्टेड एकाउंटेंट के पास भी नहीं है। दूसरी तरफ सरकार भी किसी भी तरह की कोई व्यवस्था नहीं की है। जिससे जीएसटी से जुड़ी कर संबंधी तकनीकी दिक्कतों का समाधान हो सके। लिहाजा देश भर के व्यापारियों को आमंत्रित कर नई कर प्रणाली से जुड़े उनके विचारो, अनुभवों और परेशानियों से सरकार को रूबरू कराने के लिए व्यापार मंडल ने जीएसटी मंथन का आयोजन किया है।
उन्होंने बताया कि व्यापारियों से जीएसटी पर बीते दो महीनो में प्राप्त प्रतिक्रिया के आधार पर, यह महसूस किया जा रहा है कि नई कर प्रणाली को लेकर व्यापारियों के प्रश्नो के प्रामाणिक समाधान के लिए जिला स्तर पर बड़ा अभियान चलाकर व्यापारियों से सीधे संपर्क करने की बड़ी आवश्यकता है। जिसे सरकार द्वारा ही किया जा सकता है। दरअसल जीएसटी कर की दरें, एचएसएन कोड्स की प्रयोज्यता, रिवर्स प्रभार के इम्पलीकेशन, सही इनवॉइस बनाने एवं इनपुट टैक्स क्रेडिट क्लेम करने इत्यादि को लेकर भ्रम एवं असमंजस की स्थिति आदि व्यापारियों के ज्वलंत मुद्दे हैं। साथ ही जीएसटी के तहत विभिन्न टैक्स स्लैब में विसंगतियों, असमानताओं और विरोधाभास मौजूद हैं। इसके अलावा, 28% की स्लैब पर पुनः विचार करने और कई वस्तुओं को इस स्लैब के नीचे कम टैक्स के दायरे में लाए जाने की भी जरूरत है।
व्यापार मंडल के प्रवक्ता चार्टेड एकाउंटेंट राजेश्वर पेन्यूली के मुताबिक जीएसटी मंथन मे एचएसएन कोड की प्रयोज्यता एवं इसका अमल में लाया जाना, रिवर्स चार्ज और इनपुट क्रेडिट, लेखा एवं अभिलेखों का रखरखाव, करों का भुगतान करने की देनदारी, अग्रिम विनिर्णय, इत्यादि भी जीएसटी के अंतर्गत ऐसे ही कुछ अन्य क्षेत्र है। जिन पर व्यापारियों, जीएसटी विशेषज्ञों, चार्टेड एकाउंटेटस और कर सलाहकार उपरोक्त मुद्दो पर अपने अनुभव, विचार एवं सुझाव रखेंगे। व्यापार मंडल व्यापारियों और विशेषज्ञों के जीएसटी पर उनके अनुभव और सुझावों को सरकार के समक्ष पेश करेगी। ताकि इसका समाधान निकल सके। वैसे भी व्यापारियों को जीएसटीएन से लगातार दिक्कतें आ रही है। और इसे देखते हुए सरकार ने रिटर्न की तारीख बढ़ाकर 10 अक्तूबर कर दी है। लेकिन रिटर्न भरने में होने वाली अन्य परेशानियों पर व्यापारियों को वृहद जानकारी की आवश्यकता है।