जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली । देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस अब विशेष अभियान चलाकर बहुप्रतीक्षित बदलाव के लिए तैयार है और वह संगठन को फिर से खड़ा करने और जनता के साथ जुड़ने के लिए नए अभियान में जुटी है। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने दो माह पहले खास वोट बैंक को साधने के लिए अलग-अलग यूनिट बनाना शुरू किया था।
राहुल की इस नई तैयारी में असंगठित कामगारों, मछुआरों, आदिवासियों, ओबीसी, वर्किंग प्रफेशनल्स, एनआरआई से जुड़ी इकाइयां शामिल हैं। नए आरटीआई सेल से लेकर अखिल भारतीय कामगार कांग्रेस और मछुआरा कांग्रेस तक, गांधी का यह अभियान नए उत्साह और कन्फ्यूजन का कोलाज है।
राजनीतिक तौर पर कांग्रेस का प्रवासी मजदूरों और ऐसे बेहद गरीब तबके से जुड़ना है जो पारंपरिक तौर पर कांग्रेस के लिए वोट करते थे लेकिन अब अलग-अलग राज्यों में अलग अलग पार्टियों के पक्ष में मतदान कर रहे हैं। इस इकाई का गठन 2 अगस्त को किया गया और गठन के कुछ ही दिनों के भीतर इसमें काफी गतिविधियां दिख रही हैं। यूनिट ने राष्ट्रीय और राज्य स्तर के अपने ढांचे को अंतिम रूप दे दिया है। इसका मकसद अलग-अलग क्षेत्रों से जुड़े कामगारों की पहचान कर उन्हें ग्रुप में संगठित करना है। मसलन रिक्शा चलाने वाले, रेहड़ी-पटरी वर्कर्स, कचरा बीनने वाले, बीड़ी वर्कर्स आदि। इस यूनिट के चेयरमैन अरबिंद सिंह ने बताया, ‘हमारा मकसद असंगठित क्षेत्र के हर वर्कर तक पहुंचना है।’
इस इकाई के गठन के तीन महीने के भीतर अखिल भारतीय मछुआरा कांग्रेस ने प्रफेशनल लुक अख्तियार कर लिया है। तटवर्ती राज्यों में मछुआरों की सोसायटी और इसकी सहयोगी सेवाओं को एकजुट करने के लिए अभियान शुरू करने से पहले यूनिट ने डिजिटल मीडिया और जनसंपर्क कार्यों के लिए प्राइवेट फर्म को हायर किया है। तमाम संवाद इसी फर्म यानी विसाज मीडिया के जरिये होते हैं।
कांग्रेस में हमेशा से अनुसूचित जाति सेल रहा है। जून 2016 में छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम अजीत जोगी की पार्टी से विदाई के बाद इस यूनिट का काम बिना प्रमुख के चल रहा था। अब इसका नाम बदलकर आदिवासी कांग्रेस रख दिया गया है और इसमें नई जान फूंकने का काम आदिवासी मामलों के पूर्व मंत्री वी किशोर चंद्र देव को सौंपा गया है। आदिवासी कांग्रेस में 5 उपाध्यक्ष भी देव की मदद के लिए रहेंगे। पूर्व मंत्री ने राज्यों के उपाध्यक्षों के बीच जिम्मेदारी बांट दी है ताकि अभियान को बेहतर तरीके से अंजाम दिया जा सके। देव ने कहा, ‘हमारा मेसेज साफ है। हमें ज्यादा से ज्यादा आदिवासियों के साथ जुड़ने की जरूरत है।’
कांग्रेस उपाध्यक्ष ने तमाम शहरों में पार्टी के अलग-अलग चैप्टरों के जरिये वर्किंग प्रफेशनल्स के साथ जुड़ने का आइडिया पेश किया है। शशि थरूर को इसका चेयरमैन बनाया गया है। अखिल भारतीय प्रफेशनल्स कांग्रेस में 4 रिजनल कोऑर्डिनेटर्स बनाए गए हैं। इनमें मिलिंद देवड़ा (वेस्ट जोन), गीता रेड्डी (साउथ जोन), गौरव गोगोई (ईस्ट जोन) और सलमान अनीस (नॉर्थ जोन) शामिल हैं। थरूर ने बताया, ‘ऑल इंडिया प्रफेशनल कांग्रेस प्रफेशनल्स की आकांक्षाओं को मुहैया कराने वाला देश का पहला राजनीतिक संगठन है। हमारा फोकस प्रफेशनल्स और पॉलिटिक्स के बीच पुल तैयार पर होगा।
कांग्रेस ने एनआरआई की ऐसे समुदाय के तौर पर पहचान की है जिनके समर्थन के लिए पार्टी ने अब तक खास पहल नहीं की थी। फिलहाल पार्टी के 18 देशों में ओवरसीज सेल हैं। हालांकि, कई देशों में इस पर काम नहीं किया गया है। चूंकि आप और बीजेपी जैसी पार्टियां एनआरआई गतिविधियों को लेकर काफी सक्रिय हैं, लिहाजा कांग्रेस ने भी इसकी संभावना को खंगालना शुरू कर दिया है।