जनजीवन ब्यूरो / मुंबई । महाराष्ट्र में बीजेपी सरकार ने शिवसेना में बगावत करवा दी है। शिवसेना ने जैसे ही केंद्र की मोदी सरकार और महाराष्ट्र की फडणवीस सरकार से समर्थन वापस लेने की धमकी दी वैसे ही शिवसेना के 25 विधायकों ने महाराष्ट्र सरकार का साथ न छोड़ने की बात कही।
केंद्र और महाराष्ट्र में सरकार का हिस्सा होने के बावजूद शिवसेना और बीजेपी के बीच लंबे समय से रस्साकशी चल रही है। हाल ही में मोदी मंत्रिपरिषद के विस्तार को शिवसेना ने भाजपा का विस्तार बताया था। गौरतलब है कि मंत्रिपरिषद विस्तार में सहयोगी दलों के किसी सदस्य को मंत्री नहीं बनाया गया था। 18 लोकसभा सांसदों वाली शिवसेना की विस्तार में अनदेखी की गई
63 विधायकों वाली शिवसेना में से 25 विधायकों ने साफ कहा है कि वे फडणवीस सरकार से समर्थन लेने के संभावित फैसले से कतई सहमत नहीं हैं। सोमवार को शिवसेना प्रमुख उद्भव ठाकरे के साथ हुई मीटिंग में इन विधायकों ने इस कदम का विरोध किया। इस बैठक में पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों का विरोध, मौजूदा सियासी तकरार और अन्य कई अहम मसलों पर चर्चा हुई। इसमें शिवसेना के सांसदों, विधायकों और मंत्रियों ने शिरकत की।
इस दौरान सभी विधायकों और सांसदों को अपना मोबाइल फोन मीटिंग हॉल में प्रवेश करने से पहले ही जमा करने को कहा गया। हालांकि कुछ विधायक फोन मीटिंग में ले जाने में कामयाब रहे और मीडिया को साफ पता चल गया कि अंदर क्या चल रहा है।
ठाकरे ने सोमवार को संकेत दिया था कि यदि फडणवीस सरकार सही तरीके से प्रदेश में विकास नहीं करेगी तो उनकी पार्टी समर्थन वापस लेने पर विचार कर सकती है। ऐसे में पश्चिम महाराष्ट्र के कई विधायकों ने इस फैसले का पुरजोर विरोध किया। इन विधायकों ने कहा कि हमारे पास चुनाव लड़ने के लिए फंड नहीं है और हम ‘मनी पावर’ में बीजेपी का कतई मुकाबला नहीं कर सकते हैं।
मीटिंग में शिवसेना के मंत्रियों और विधायकों में जमकर जुबानी जंग हुई। कथित रूप से महाड के शिवसेना विधायक भरत गोगवले ने सख्त लहजों में कहा कि विधायकों को पार्टी के मंत्री कभी-कभार ही मदद करते हैं। उनका कहना था कि अक्टूबर में ग्राम पंचायत का चुनाव होना है। हमें नहीं पता कि मंत्री हमें कैसे मदद करेंगे’ क्या वे पार्टी को मदद करेंगे?
गौरतलब है कि शिवसेना नेता संजय राउत ने सोमवार को केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा था, ‘बेतहाशा बढ़ती महंगाई और किसानों के मुद्दे अब तक सुलझे नहीं हैं। हम इसके लिए जिम्मेदार नहीं हैं और यह दाग नहीं झेलना चाहते। केंद्र सरकार में हम बने रहेंगे या सरकार से नाता तोड़ेंगे, इसका फैसला जल्द ही पार्टी बैठक के बाद लिया जाएगा।’