जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली । दुर्गा पूजा के दौरान बच्चों के स्कूल बंद रहेंगे और उन्हें घुमने में आनंद आएगा। तो जानिए इस दौरान आप कहां कहां अपने बच्चों को कहां घमा सकते हैं
चांदनी चौक दिल्ली का सबसे पुराना रिहायशी इलाका है। अगर कहें तो दिल्ली की पहचान है चांदनी चौक। चांदनी चौक में कई ऐतिहासिक इमारतों के अलावा कई बेहद पुराने और ऐतिहासिक मंदिर भी हैं। इन मंदिरों का इतिहास मुगलकालीन और अंग्रेजों के जमाने का है और उनकी मान्यता भी बहुत है। ये तीनों मंदिर कटरा नील में मौजूद हैं। इन मंदिरों के इतिहास में ही छिपा है कटरा नील का भी इतिहास। वैसे तो चांदनी चौक के कटरा नील को व्यवसायिक स्थल के तौर पर जाना जाता है लेकिन इसका धार्मिक महत्व भी बहुत है।
घंटेश्वर महादेव
यह मंदिर सैकड़ों वर्ष पुराना है। बताया जाता है कि इस मंदिर की वजह से कटरा नील को पवित्र माना जाता है। इतना ही नहीं, प्राचीन समय में कटरा नील का नाम विद्यापुरा भी था। महादेव के इस मंदिर को विश्वेश्वर भी कहते हैं। जिस वजह से इस स्थान को काशी के बराबर ही पवित्र माना गया है। इसे घंटेश्वर महादेव इसलिए भी कहा जाता है क्योंकि जब भी किसी की मनोकामना पूरी होती है तो वह शिवलिंग के ऊपर घंटा चढ़ाता है। यह प्राचीन मान्यता है। इतना ही नहीं, मंदिर के जीर्णोद्धार के समय मुख्य द्वार पर मकराना पत्थर से निर्मित सिंगल स्टोन का घंटा भी बनवाया गया था, जो आज भी मंदिर की शोभा बढ़ा रहा है।
काली माता मंदिर
काली माता मंदिर शिवालय से कुछ ही दूरी पर है। यह मंदिर भी बहुत प्राचीन है। बताया जाता है कि यहां मां काली की स्वयंभू मूर्ति है, जो मंदिर के पीछे बने कुएं से निकली थी। तभी से वह मूर्ति मंदिर में स्थापित की गई। इस मंदिर में काली माता के साथ सरस्वती जी की और लक्ष्मी जी की मूर्ती भी मुख्य भवन में मौजूद है। इनके अलावा देवी के नौ रूपों की मूर्ति भी मंदिर में स्थापित है। यहां नवरात्र के दिनों में अपार भीड़ रहती है और विभिन्न उत्सवों के आयोजन होते हैं। जो लोग चांदनी चौक या कटरा नील छोड़ कर दूर जगहों पर रहने के लिए जा चुके हैं, वह आज भी परिवार सहित इस ऐतिहासिक मंदिर के दर्शन के लिए आते हैं।
राधा कृष्ण मंदिर
इस मंदिर को छोटा मंदिर भी कहा जाता है। पुराने समय में इस मंदिर में छोटी-छोटी मूर्तियां थीं। जीर्णोद्धार के समय यहां पर राधा कृष्ण जी की भव्य और सुंदर मूर्तियों की स्थापना की गई है। इस मंदिर की अपनी मान्यता है। यहां आने पर लोगों को राधा कृष्ण जी के मोहक रूप के दर्शन होने के साथ-साथ शांति भी मिलती है। श्री कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर यहां सुंदर झाकियां सजाई जाती हैं।