जनजीवन ब्यूरो / कोलकाता । ममता बनर्जी सरकार के मुहर्रम के बाद दुर्गा प्रतिमा विसर्जन कराने के आदेश को कलकत्ता हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया है। कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुनाने से पहले गुरुवार को कहा कि सरकार लोगों की आस्था में दखल नहीं दे सकती है। बिना किसी आधार के ताकत का इस्तेमाल बिल्कुल गलत है। अदालत ने कहा, ‘सरकार के पास अधिकार है, लेकिन असीमित नहीं है। बिना किसी आधार के ताकत का इस्तेमाल गलत है। आखिरी विकल्प का फैसला सबसे बाद में करना चाहिए।’
हाई कोर्ट ने बुधवार को भी इस मुद्दे पर ममता सरकार के खिलाफ सख्त टिप्पणी की थी। कोर्ट ने राज्य की ममता बनर्जी सरकार से कहा था कि जब आप इस बात का दावा कर रहे हैं कि राज्य में सांप्रदायिक सद्भाव है तो फिर आप खुद दो समुदायों के बीच सांप्रदायिक विभेद पैदा करने की कोशिश क्यों कर रही हैं?
दरअसल, इस साल दशहरा के अगले दिन ही मुहर्रम है। दशहरे के अगले दिन दुर्गा प्रतिमा भी विसर्जित की जाती है। इसको देखते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विसर्जन की तारीख बढ़ाने का फैसला किया था, यानी बंगाल में दुर्गा प्रतिमा का विसर्जन 1 अक्टूबर की जगह 2 अक्टूबर को होगा।
इससे नाराज होकर 14 सितंबर को अधिवक्ता अमरजीत रायचौधरी ने कलकत्ता हाई कोर्ट में PIL दाखिल की थी। उन्होंने यह तर्क दिया था कि दुर्गा पूजा बंगाल का सबसे बड़ा उत्सव है। इस पूजा में अंजलि समेत सभी विधियां शुभ समय के अनुसार होती है। मुख्यमंत्री के निर्देश से ऐसा लग रहा है जैसे यहां धार्मिक अधिकारों का हनन किया जा रहा है।
याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने बंगाल सरकार को फटकार लगाई और पूछा, ‘दो समुदाय एक साथ त्योहार क्यों नहीं मना सकते? दुर्गा पूजा और मुहर्रम को लेकर पहले कभी ऐसे हालात नहीं बने। उन्हें सद्भाव के साथ रहने दें। उनके बीच कोई लकीर न खींचें। उन्हें साथ-साथ रहने दें।’
उल्लेखनीय है कि ममता सरकार ने फैसला लिया है कि मुहर्रम के अगले दिन ही दुर्गा प्रतिमा विसर्जन होगा। इस बार दुर्गा पूजा और मुहर्रम एक ही दिन 1 अक्टूबर को पड़ रहे हैं। पश्चिम बंगाल सरकार ने फैसला लिया कि मुहर्रम के दिन को छोड़कर 2, 3 और 4 अक्टूबर को दुर्गा प्रतिमा का विसर्जन किया जा सकता है।
बीजेपी ने राज्य सरकार के इस फैसले की निंदा करते हुए इसे अल्पसंख्यकों का तुष्टिकरण बताया था। बीजेपी की बंगाल इकाई के प्रमुख दिलीप घोष ने फेसबुक पर लिखा था कि क्या बंगाल धीरे-धीरे तालिबानी शासन की तरफ बढ़ रहा है? स्कूलों में सरस्वती पूजा रोकी जा रही है, बार-बार दुर्गा पूजा के बाद प्रतिमा विसर्जन रोक दिया जाता है।