जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों से कहा है कि वे गोरक्षा के नाम पर हो रही हिंसा के शिकार लोगों को मुआवजा दें। कोर्ट ने कहा कि गौरक्षा के नाम पर हिंसा करने वालों पर कानूनी शिकंजा कसे जाने की जरूरत है। हिंसा पर लगाम लगाने के लिए उठाए गए कदमों पर राज्य सरकारों से 31 अक्तूबर तक जवाब मांगा है।
मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने कांग्रेस नेता तहसीन पूनावाला एवं अन्य की याचिकाओं की सुनवाई के दौरान अपने छह सितम्बर के आदेश पर अमल को लेकर सभी राज्यों से स्टेटस रिपोर्ट सौंपने को भी कहा। सुनवाई के दौरान शुक्रवार को गुजरात, राजस्थान, झारखंड, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश ने शीर्ष अदालत में अपनी स्टेटस रिपोर्ट फाइल कर दी है।
गुजरात, राजस्थान, झारखंड, कर्नाटक और उत्त्तर प्रदेश ने इस मामले में अपनी रिपोर्ट दे दी है। कोर्ट ने बाकी राज्यों को भी रिपोर्ट के लिए निर्देश दिए हैं।
वहीं इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्य सरकारों को कहा है कि वह गोहिंसा को रोकने के लिए पुलिस अधिकारी नियुक्त करें। अदालत ने बाकी राज्यों से भी जल्द से जल्द रिपोर्ट फाइल करने को कहा है। इस मामले पर अगली सुनवाई 31 अक्टूबर को होगी। गौरतलब है कि गत छह सिंतबर को हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि सरकारें गोरक्षा के नाम पर जारी हिंसा को रोकने के लिए कदम उठाएं। कोर्ट ने राज्य सरकारों को इस बाबत सख्त कदम उठाने को कहा था।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ऐसी घटनाओं पर लगाम कसने के लिए प्रत्येक जिले में नोडल अधिकारी नियुक्त किये जायें तथा एक सप्ताह के भीतर कार्यबल गठित करने को कहा था। शीर्ष अदालत ने गोरक्षकों पर होने वाले हालिया हमलों को ध्यान में रखते हुए प्रत्येक राज्य के मुख्य सचिवों से कहा था कि वे संबंधित पुलिस महानिदेशकों की मदद से राजमार्गों को गोरक्षकों से सुरक्षित रखें।