जनजीवन ब्यूरो / वाराणसी । दिल्ली में पीएम नरेंद्र मोदी से गुहार लगाने गए हजारों शिक्षामित्रों को निराशा हाथ लगी थी। निराश शिक्षामित्रों ने वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जनसभा में शिक्षामित्रों ने हंगामा मचाया। मोदी अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी के 2 दिन के दौरे पर हैं। दौरे के अंतिम दिन पीएम के सामने शिक्षामित्रों ने कड़ा विरोध प्रदर्शन किया।
शिक्षामित्रों की रणनीति है कि शाहंशाहपुर में प्रधानमंत्री के कार्यक्रम के दौरान उनका ध्यान खींचा जाए। जैसे उन्होंने 2015 के सितंबर में डीरेका में प्रधानमंत्री की जनसभा में किया था। उस सयम शिक्षामित्रों के हंगामे के कारण पीएम को भाषण रोकना पड़ा था। शिक्षामित्र चाहते हैं कि पीएम सावर्जनिक तौर पर बताएं कि वह उनके लिए क्या कर सकते हैं। अगर इससे पहले बातचीत का मौका मिलता है तो शिक्षामित्र नेताओं के साथ क्या वार्ता हुई? यह भी सार्वजनिक किया जाए।
बताया जाता है कि शिक्षामित्रों ने गुरुवार को एलटी कॉलेज में बैठक रणनीति बनाई थी। जिसके तहत पीएम तक अपनी बात पहुंचाने का था । अगर उनसे मिलने का मौका मिला तो उनसे कहा जाएगा कि उनके भविष्य को कानूनी पचड़े में न फंसाया जाए। केंद्र सरकार चाहेगी तो उनकी समस्या का समाधान हो जाएगा। पीएम को देने के लिए पत्रक भी तैयार किया गया है। बैठक की अध्यक्षता आदर्श शिक्षामित्र वेलफेयर एसोशिएशन के जिलाध्यक्ष अमरेंद्र दुबे ने किया।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद यूपी के शिक्षामित्र प्रदर्शन कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 25 जुलाई 2017 से शिक्षामित्रों का सहायक शिक्षक के पद पर समायोजन रद्द कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि टीईटी पास करने के बाद ही उन्हें भर्ती का मौका दिया जाएगा। तब से लगातार प्रदेश में शिक्षामित्र विरोध करते रहे। इस बीच योगी आदित्यनाथ सरकार ने शिक्षामित्रों का मानदेय 10 हजार रुपये करने की बात कही, लेकिन शिक्षामित्रों ने इसे ठुकरा दिया।
11 सितंबर से 15 सितंबर तक यूपी के शिक्षामित्रों ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर भी प्रदर्शन किया था। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा था कि प्रदेश सरकार से प्रस्ताव मिलने के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी।
शिक्षामित्र संघ के प्रदेश अध्यक्ष गाजी इमाम आला के मुताबिक केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर से बातचीत निराशाजनक रही। इसके बाद सभी एक लाख 60 हजार शिक्षामित्रों ने गिरफ्तारी भी दी थी। सुप्रीम कोर्ट में शिक्षामित्रों की तरफ से एक पुनर्विचार याचिका भी दाखिल की गई है।
शिक्षामित्रों की मांग है कि राज्य सरकार भी इस मामले में उनकी तरफ से पैरवी करे और उनके समायोजन पर विचार करे। इसमें या तो समान मानदेय की बात मानी जाए या फिर टीईटी का पासिंग मार्क्स 60 के बजाय 45 प्रतिशत रखा जाए। इसके बाद केंद्रीय मानव संसाधन विभाग को प्रस्ताव भेजा जाए, क्योंकि प्रकाश जावड़ेकर ने वादा किया है कि राज्य सरकार से प्रस्ताव मिलते ही इसे पास कर दिया जाएगा। शिक्षामित्रों ने यह याचिका 22 अगस्त को दायर की थी।