जनजीवन ब्यूरो
पटना। विधानसभा चुनाव में सोशल मीडिया पर नकेल कसने की तैयारी शुरु हो गई है। इस बार नेताजी वोटरों के मोबाइल फोन पर मनमर्जी वाले कंटेंट के साथ नहीं टपक पाएंगे। आमतौर पर चुनावी मौसम शुरू होते ही मोबाइल फोन पर रह-रह कर अलग-अलग नंबरों कॉल व मैसेज आते हैं। उठाते ही नेताजी शुरू-नमस्कार मैं फलां बोल रहा हूं…मुझे वोट दीजिए..वाले अंदाज में शुरू हो जाते हैं।
इस बार के विधानसभा चुनाव में बल्क एसएमएस और वॉइस एसएमएस पर चुनाव आयोग कड़ी निगरानी होगी। इतना ही नहीं बल्क एसएमएस और वॉइस एसएमएस को वोटरों को भेजने के पहले प्रमाणपत्र लेना होगा। यह देखा जाएगा कि एमएसएस के जरिए भेजे जाने वाले कंटेंट आपत्तिजनक न हों। एसएमएस के साथ-साथ टीवी चैनल, केबल नेटवर्क और रेडियो पर चुनाव प्रचार सामाग्री जारी करने के पहले प्रमाणपत्र लेना होगा। आयोग ने इस बाबत आदेश जारी कर दिया है।
दरअसल, आयोग को शिकायत मिली थी कि राजनीतिक पार्टियां और प्रत्याशी अपने प्रचार अभियान के लिए बल्क एसएमएस रिकार्डेड वॉइस एसएमएस का प्रयोग करते हैं। यहां तक कि उनके समर्थक, कार्यकर्ता व उन्हें समर्थन देने वाले अन्य संगठन भी उनके लिए एसएमएस के जरिए ऐसे अभियान चलाते हैं। ऐसी संभावना रहती है कि एसएमएस के जरिए दुर्भावनापूर्ण व दूसरों की निंदा करने वाले मैसेज भी भेजे जा सकते हैं।
आयोग ने इसे चुनाव के नियम, कानून व आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन माना है। बिहार में सितंबर-अक्टूबर में चुनाव होना है। इस लिहाज से एक बार फिर एसएमएस के जरिए प्रचार अभियान जोड़ पकड़ेगा। आयोग ने पहले के चुनाव में ऐसे बल्क एसएमएस की मॉनिटरिंग पुलिस को सौंपी थी और इसका खर्च प्रत्याशी के चुनाव खर्च में जोड़ने का आदेश दिया था।