केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा ने नरेंद्र मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों का बचाव करते हुए अपने पिता यशवंत सिन्हा को जवाब दिया है. ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ में लेख लिखकर जयंत ने इंडिएन एक्सप्रेस में छपे यशवंत सिन्हा के लेख का जवाब दिया है. नागर विमानन राज्यमंत्री जयंत सिन्हा के पिता यशवंत सिन्हा ने बुधवार को एक लेख में वित्त मंत्री अरुण जेटली पर आरोप लगाया था कि उन्होंने देश की अर्थव्यवस्था का ‘कबाड़ा’ कर दिया है.
जयंत ने पिता को काउंटर करते हुए लिखा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था के बारे में कई सारे लेख हालिया दिनों में लिखे गए हैं, लेकिन वे सब छोटे तथ्यों पर आधारित हैं. इसमें फंडामेंटल स्ट्रक्चरल रिफॉर्म से दूरी बनाई गई है. अर्थव्यवस्था में इससे सुधार आ रहा है. सरकार ने कई सारे ऐसे सुधार किए हैं, जिसका फायदा आने वाले दिनों में लोगों को मिलेगा. न्यू इंडिया के लिए ढांचागत बदलाव जरूरी है.
पढिए जयंत ने क्या लिखा लेख में
भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर कई तरह के लेख लिखे जा चुके हैं. दुर्भाग्य से इस तरह के लेखों में कम तथ्य रहते हैं. सच्चाई यह है कि भारत की अर्थव्यवस्था बदलाव की दौर से गुजर रही है. यह बदलाव संरचनात्मक बदलाव है. एक या दो तिमाही नतीजे से आप सही अनुमान नहीं लगा सकते है. इसका मूल्यांकन करने के लिए थोड़ा इंतजार करना होगा. सरकार ने जो संरचनात्मक बदलाव किये हैं वह सिर्फ ऐच्छिक नहीं था. बल्कि एक आवश्यकता बन चुका था ताकि देश के करोड़ों लोगों को अच्छी नौकरी दिया जा सके. जो नयी अर्थव्यवस्था तैयार हो रहा है. वह ज्यादा पारदर्शी, वैश्विक रूप से कीमत प्रतिस्पर्धी और नये खोजों को बढ़ावा देने वाली अर्थव्यवस्था होगी. इस नये अर्थव्यवस्था में सभी को समान अवसर मिलेंगे और समानता को बढ़ावा मिलेगा और लोग बेहतर जीवन जी पायेंगे.
‘जीएसटी, नोटबंदी और डिजिटल पेमेंट भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए गेम चेंजिंग प्रयास है. अभी तक टैक्स नहीं चुका रहे सेक्टर को टैक्स की श्रेणी में लाया जा रहा है. लंबी अवधि में टैक्स कलेक्शन बढ़ेगा और राज्यों के लिए ज्यादा संसाधन उपलब्ध होंगे. अर्थव्यवस्था में सुधार होगा और जीडीपी दर बढ़ेगी. अब सभी ट्रांजैक्शन डिजिटल हो गए हैं.
सभी मंत्रालयों में नीतियां अब नियमों के आधार पर ही बन रही हैं. प्राकृतिक संसाधनों, जैसे कोयला, स्पेक्ट्रम और उड़ान का पारदर्शी तरीके से ऑक्शन किया जा रहा है. दीवाला कानून से फंसी पूंजी का जल्द निपटारा किया जा सकेगा. इससे बैंकिंग सेक्टर को लाभ होगा और NPA में कमी आएगी.
भारत 2018 तक 100 फीसदी तक गांवों में बिजली पहुंचाने के लक्ष्य के करीब पहुंच जाएगा. ग्रामीण क्षेत्रों की सड़कें रेकॉर्ड 133 किलोमीटर प्रतिदिन के हिसाब से बनाई जा रही हैं. यह 2014 में 69 किलोमीटर प्रतिदिन की तुलना में दोगुनी है.
अफॉर्डबल मकानों के निर्माण के लिए मंजूरी दी जा रही है. यह 2004-14 में 13.8 करोड़ की तुलना में एनडीए सरकार में बढ़कर 17.7 करोड़ पहुंच चुका है. वह आगे लिखते हैं कि हवाई कनेक्टिविटी में नाटकीय बढ़ोतरी हुई है. वित्त वर्ष 2014 में जहां 10 करोड़ लोगों ने हवाई यात्रा की थी, वहीं 2017 में 16 करोड़ यात्रियों ने हवाई यात्रा की है.
जीएसटी, विमुद्रीकरण और डिजिटल पेमेंट – ये सब गेम चेंजिग प्रयास हैं. जो देश के नन – फार्मल सेक्टर को फार्मल सेक्टर में तब्दील किया जा रहा है. देश के कर संग्रह में बढ़ावा होगा और सरकार के पास ज्यादा संसाधन उपलब्ध होंगे. अर्थव्यवस्था में जो बाधा पहुंची है वह दूर हो जायेगा. सरकार अपने नीतियों में भी पारदर्शिता बरत रही है. प्राकृतिक संसाधनों का पारदर्शी तरीके से लाइसेंस दिया गया था. कोल, स्पेक्ट्रम और उडा़न स्कीम कुछ उदाहरण है. सरकार ने दिवालिया कानून लाया अब खराब पूंजी व एनपीए से बैंकों को निजात मिलने में आसानी होगी. अगर एफडीआई को देखा जाये तो इसमें अभूतपूर्व रूप से वृद्धि हुई है. 36 बिलीयन डालर से बढ़कर 60 बिलीयन डॉलर हो गया.