मृत्युंजय कुमार/ पटना । बिहार कांग्रेस के नए कार्यकारी अध्यक्ष बने कौकब कादरी ने बुधवार को अपना कार्यभार संभाला, लेकिन इस मौके पर सूबे के 27 पार्टी विधायकों में से 26 नदारद थे. राज्य कांग्रेस के मुख्यालय पर आयोजित समारोह में कांग्रेस के सिर्फ एक विधायक सिद्धार्थ ने शिरकत की थी.
प्रदेश अध्यक्ष पद से अपनी ‘असम्मानजक विदाई’ से नाराज चौधरी ने संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि उन्हें इस तरह से हटाया जाएगा. उन्होंने कहा, ‘पार्टी के निर्णय का मैं स्वागत करता हूं लेकिन जिस तरह से हमें अपमानित करके निकाला गया है, उसके हम हकदार नहीं थे. मैं दलित हूं, इसलिए मुझे अध्यक्ष के पद से हटा दिया गया है. मेरी दो पीढ़ियों ने बिहार में कांग्रेस को मजबूत करने के लिए काम किया. यह काफी अपमानजनक और दुर्भाग्यपूर्ण है.’
चौधरी के हमलों पर नवनियुक्त कार्यवाहक प्रदेश अध्यक्ष कादरी ने कहा है कि यह वही कांग्रेस है जिसने उन्हें प्रदेश अध्यक्ष और मंत्री बनाया था. कार्यभार संभालने से पहले कादरी ने विधानसभा में कांग्रेस के नेता सदानंद सिंह से उनके आवास पर मुलाकात की. सिंह ने कहा, ‘कादरी मेरे छोटे भाई की तरह हैं. उन्हें कार्यवाहक अध्यक्ष बनाने के हाई कमान के फैसले का सम्मान होगा.’
कादरी ने बाद में ऐलान किया कि करोड़ों रुपये के सृजन घोटाले और बातेश्वरस्थान गंगा पंप नहर योजना में भ्रष्टाचार के खिलाफ कांग्रेस पूरे बिहार में एक बड़ा आंदोलन चलाएगी. उन्होंने कहा कि वह नीतीश सरकार की ‘जनविरोधी नीतियों’ के खिलाफ ब्लॉक और जिले स्तर पर आंदोलन खड़ा करेंगे.
कादरी ने कांग्रेस नेताओं से अपने मतभेदों को भूलाने और संगठन को मजबूत करने की अपील की है. आरजेडी मुखिया लालू प्रसाद यादव के साथ गठबंधन का कुछ कांग्रेस विधायकों द्वारा विरोध के सवाल पर उन्होंने कहा, ‘यह नीतिगत मामला है जिस पर पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व फैसला लेगा.