जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली: नरेंद्र मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों पर बीजेपी के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा लगातार हमले कर रहे हैं। बेटे जयंत सिन्हा के द टाइम्स ऑफ इंडिया में मोदी सरकार की आर्थिक तरफदारी में छपे लेख के बाद गुरुवार को यशवंत सिन्हा खुलकर मीडिया के सामने आए और केंद्र सरकार पर धारदार तरीके से हमले करते हुए सिन्हा ने कहा कि पिछले डेढ़ साल से अर्थव्यस्था में लगातार गिरावट का दौर जारी है और इसके लिए पिछली सरकारों को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। उन्होंने कहा कि 40 महीने सरकार में रहने के बाद हम पिछली सरकारों पर दोष नहीं डाल सकते। सिन्हा ने केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह और पीयूष गोयल की आर्थिक समझ को लेकर भी तंज कसा। यही नहीं, सिन्हा ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी ने उन्हें एक साल से मिलने का समय नहीं दिया है।
एक न्यूज चैनल से बातचीत में यशवंत सिन्हा ने कहा, ‘मैंने सालभर पहले पीएम मोदी से मिलने के लिए समय मांगा था। वह मुझसे नहीं मिले। क्या मुझे उनके घर के आगे धरना देना चाहिए… सरकार और पार्टी में हमारी बात सुनने के लिए कोई तैयार नहीं है।’
वहीं न्यूज एजेंसी एनएनआई से बातचीत में यशवंत सिन्हा ने कहा कि यूपीए के वक्त पॉलिसी पैरालिसिस था और उम्मीद थी कि मोदी सरकार के आने के बाद यह खत्म होगी। उन्होंने कहा कि हम कुछ आगे बढ़े लेकिन वह गति नहीं दिखी जो होनी चाहिए थी। अर्थव्यवस्था में गिरावट से बेरोजगारी भी बढ़ी है।
यशवंत सिन्हा ने विमुद्रीकरण और जीएसटी को एक बार फिर देश के लिए खतरनाक करार दिया है। उन्होंने कहा- जब देश की अर्थव्यवस्था इतनी नाज़ुक हो तो हमें जीएसटी के बारे में नहीं सोचना चाहिए था। विमुद्रीकरण का प्रभाव कम हुआ नहीं था कि हमने जीएसटी के जरिए एक नया झटका दे दिया। उन्होंने कहा है कि लम्बी अवधि की बात होती है लेकिन फिर मुझे कीन्स की याद आती है। जो कहते थे- long run में हम सब मर जायेंगे।
40 महीने बाद यूपीए को दोष ना दे सरकार
सिन्हा ने वर्तमान में हो रही कमियों या नाकामयाबियों का ठीकरा पूर्व की यूपीए सरकार पर ना डालने की भी सलाह दी। उन्होंने कहा जो हम उस समय कहते थे कि अर्थव्यवस्था को लकवा मारा गया है। बैंक कर्जदार हो रहें हैं इसमें सुधार किया जाना चाहिए…तब मुझे लगता था कि हमारी सरकार आएगी तो हालात बेहतर होंगे। लेकिन हमने आवश्यक गति के साथ काम नहीं किया और इसके लिए हम पहले की सरकार को दोषी नहीं मान सकते। 40 महीने बाद हम पूर्व की सरकार को दोष नहीं दे सकते।
सिन्हा वर्तमान सरकार की नीतियों से बेहद नाराज हैं। उन्होंने सरकारी की आर्थिक नीतियों पर कड़ा प्रहार किया है। उन्होंने बद्तर होते बैंक के हालात का जिक्र किया। कहा- सबसे पहला काम इस सरकार को बैंकों की हालत सुधारने का करना चाहिए था, जिसका इंतजार हम लोग अभी तक कर रहें हैं।
जीएसटी का पक्षधर रहा मैं
यशवंत सिन्हा बोले कि मैं बीजेपी में जीएसटी का सबसे बड़ा पक्षधर रहा हूं, उस समय मैं उस कमेटी में था। जब गुजरात सरकार के विरोध के बावजूद मैंने जीएसटी के काम को आगे बढ़ाया। आज जो लोग जीएसटी को आजादी के बाद का सबसे बड़ा रिफॉर्म बता रहे थे, उस समय वो कहीं पर भी नहीं थे। 1 जुलाई से जीएसटी को लागू करने का कोई फायदा नहीं हुआ है, 1 अप्रैल से लागू करते तो काफी अच्छा रहता। ऐसा नहीं है कि सरकार को लकवा मार गया है फैसले हो रहे हैं। सरकार में कन्फ्यूज़न की स्थिति है, कल्याण की योजनाओं के अलावा भी कई और सुधार करने होंगे। बैंक के एनपीए को लेकर को बड़ा फैसला लेना होगा।
राजनाथ और पीयूष मुझसे ज्यादा जानते हैं
सिन्हा ने गृहमंत्री और रेलमंत्री पीयूष गोयल को भी आड़े हाथों लिया। कहा- हो सकता है आर्थिक हालात को लेकर राजनाथ और पीयूष मुझसे बेहतर जानते हों, शायद इसलिए वो लोग इसे हमारी अर्थव्यवस्था को दुनिया का मेरुदण्ड मान रहें हैं। लेकिन मैं नम्रता के साथ कहूंगा कि उनकी इस बात से सहमत नहीं हूं।