जनजीवन ब्यूरो
अयोध्या । भाजपा नेता राम मंदिर मामले पर भाजपाई प्रधानमंत्री से ज्यादा अहमियत पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर को दे रहे हैं। जबकि नरेंद्र मोदी को इस मामले में गंभीर नहीं मान रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी सांसद विनय कटियार ने कहा है कि अगर चंद्रशेखर एक महीना और प्रधानमंत्री रह गए होते तो राम मंदिर बन जाता ।
कटियार ने कहा कि चंद्रशेखर चार महीने भारत के प्रधानमंत्री रहे और यह समस्या समाधान के नज़दीक पहुंच गई थी। अगर वह एक महीने और प्रधानमंत्री रहते तो राममंदिर बन गया होता।
अटल बिहारी वाजपेयी ने भी बहुत कोशिश की थी। वह भी समस्या के समाधान की अंतिम मंजिल तक पहुंच गए थे, बातचीत उनकी सफल होने वाली थी लेकिन उसी समय लोकसभा का चुनाव आ गया और सरकार नहीं बन सकी इसलिए मामला लटक गया।
जहां तक मोदी सरकार का सवाल है – एक साल बीत गया है और अभी तक कोई कदम नहीं उठा है, नहीं उठाया गया है ,लेकिन 370 सीटों की ज़रूरत का बयान मुद्दे को टालना नहीं है क्या?
कटियार ने कहा कि भाजपा सरकार ने एक साल के दौरान राममंदिर निर्माण के लिए कोई कोशिश नहीं की। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि जब तक वह जीवित रहेंगे राम मंदिर मुद्दे को दफ़नाया नहीं जा सकता।
हमारी मांग रही है कि राम जन्मभूमि में राम मंदिर बनना चाहिए और इसके लिए जो भी सरकार रही है हमने उस पर दबाव बनाया है।
चाहे बातचीत के माध्यम से, चाहे अदालत के ज़रिये या फिर कानून बनाकर – तीन में से किसी भी तरह हो – राममंदिर का निर्माण होना चाहिए। सरकार को चाहिए कि वह बातचीत शुरू करे। इससे एक-दूसरे की भावनाओं का भी पता चलेगा।
प्रधानमंत्री मोदी को जो मुसलमानों से बात हुई है वह स्वागतयोग्य है और उसे आगे बढ़ना चाहिए और अगर लगता है कि इससे हल नहीं निकल पाएगा तो हम संसद में कानून बनाएं।
लोकसभा में तो हमारा बहुमत है ही। हम लोकसभा में पारित करें – कानून बनाएं राज्यसभा में नहीं है तो देखेंगे। और फिर संयुक्त सत्र बुलाकर तो हम कानून बना ही सकते हैं।
और कुछ नहीं होगा तो हम देश को तो बता सकते हैं कि हमारा जहां तक बहुमत था वहां तक हम ले आए हैं।
अमित शाह की इस बात पर कि, राममंदिर पर कानून बनाने के लिए भाजपा को लोकसभा में 370 सीटें चाहिएं, पर मैं कोई टिप्पणी नहीं करूंगा लेकिन मुझे पता है कि संसद में कानून बनाया जा सकता है।
पार्टी अध्यक्ष अमित शाह की बात पर कोई टिप्पणी करने का कोई मतलब नहीं है लेकिन एक बात तय है कि जब तक विनय कटियार हैं – तक तक इस मुद्दे को भुलाया नहीं जा सकता।