जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली । तेल की बढ़ती कीमतों के खिलाफ विपक्षी दलों के दबाव पर केंद्र सरकार बैकफुट पर आ गई है और एक्साइज ड्यूटी में कटौती करने का फैसला किया। माना जा रहा है कि यह फैसला मोदी सरकार के लिए आत्मघाती साबित हो सकता है। बुधवार से केंद्र ने पेट्रोल, डीजल पर 2 रुपये प्रति लीटर एक्साइज ट्यूटी घटा दी है। इसकी वजह से टैक्स से होने वाली सरकार की आय को सालाना 26,000 करोड़ रुपये का झटका लगेगा।
मोदी सरकार के लिए यह फैसला काफी कड़ा है क्योंकि देश की अर्थव्यवस्था पहले से ही गिरावट की ओर है। तेजी से गिरती अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए सरकार की तरफ से 50,000 करोड़ रुपये के प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा की उम्मीद है। अब टैक्स में कटौती के बाद होने वाले रेवेन्यू लॉस की वजह से इस तरह के बड़े कदम उठाने में कठिनाई हो सकती है।
पहले क्वॉर्टर में विकास दर 5.7 फीसदी पर पहुंच चुकी है। यह तीन साल के निम्नतम स्तर पर है। व्यय में बढ़ोतरी के चलते भारत का राजकोषीय घाटा 2017-18 के बजट अनुमान का 96.1 प्रतिशत तक पहुंच गया है। ऐसे में व्यय को लेकर सरकार के ऑप्शन सीमित होते जा रहे हैं। इस समस्या में जीएसटी ने और भी इजाफा किया है।
व्यापारियों ने जुलाई में जीएसटी रिटर्न के तौर पर 65 हजार करोड़ रुपये के क्रेडिट दावे किये हैं। सरकार ने जीएसटी के पहले जमा से 95 हजार करोड़ रुपये की कमाई की थी। ऐसे में देखें तो व्यापारियों ने करीब 70 फीसदी राशि पर इनपुट क्रेडिट के रूप में दावा कर दिया है। ब्रोकरेज फर्म CLSA ने कहा है कि ड्यूटी में कटौती से केंद्र सरकार की आय में सालाना आधार पर जीडीपी के 16 बीपीएस की गिरावट होगी।
निर्यात की तुलना में लगातार आयात बढ़ने की वजह से देश का चालू खाता घाटा भी जीडीपी के 2.4 फीसदी तक पहुंच गया है। यह 4 साल के उच्चतम बिंदु पर है। कमजोर आर्थिक हालात को देखते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी घटाने के तर्क को नकार चुके थे। जेटली का तर्क था कि सरकार को सार्वजनिक खर्च बढ़ाने के लिए रेवेन्यू की जरूरत है। जेटली ने कहा था, ‘आपको समझना चाहिए कि सरकार को चलाने के लिए रेवन्यू की जरूरत है। आप हाइवे कैसे बनाएंगे?’
अब सरकार ने फ्यूल पर एक्साइज ड्यूटी घटाकर खुद अपने हाथ बांध लिए हैं। ऐसा लग रहा है कि सरकार ने यह कदम राजनीतिक दबाव और बढ़ती कीमतों को लेकर लोगों के गुस्से को देखते हुए उठाया है। पिछले दिनों पेट्रोल और डीजल की कीमतें कुछ शहरों में 3 साल के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गई थीं। इसके बाद सरकार ने 2 रुपये प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी घटाने का फैसला किया।