जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली: जीएसटी काउंसिल की 22वीं बैठक शुक्रवार को शुरु हो गई है। वित्त मंत्री अरुण जेटली बैठक की अध्यक्षता कर रहे हैं।इस बैठक से आशा की जा रही है कि छोटे कारोबारियों को कई राहत दी जाएगी। उनके लिए रिटर्न फाइलिंग आसान की जा सकती है। अभी जनरल कैटेगरी के कारोबारियों को हर महीने और कंपोजीशन वालों के लिए हर तिमाही रिटर्न फाइलिंग का प्रोविजन है। अभी कंपोजीशन स्कीम के लिए सालाना 75 लाख रुपए टर्नओवर की लिमिट है। जीएसटी लागू होने के बाद कारोबारियों को टैक्स के भुगतान और रिटर्न दाखिल करने में आ रही दिक्कत को दूर करने के लिए जीएसटी काउंसिल छोटे व्यापारियों को बड़ी राहत देने जा रही है। माना जा रहा है कि काउंसिल डेढ़ करोड़ रुपये तक के सालाना टर्नओवर वाले व्यवसाइयों को हर माह जीएसटी के भुगतान और मासिक रिटर्न फाइल करने से छूट दे सकती है।
ऐसा होने पर इन कारोबारियों को तीन महीने में एक बार जीएसटी का भुगतान करना होगा और रिटर्न भी तिमाही फाइल करना होगा। साथ ही काउंसिल कंपोजीशन स्कीम की मौजूदा 75 लाख रुपये सालाना टर्नओवर की सीमा को बढ़ाकर एक करोड़ रुपये कर सकती है। जीएसटी काउंसिल की 22वीं बैठक बृहस्पतिवार को वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में यहां हो रही है। यह काउंसिल जीएसटी के बारे में नीतिगत फैसले लेने वाली सर्वोच्च संस्था है।
सूत्रों के मुताबिक जीएसटी के अनुपालन में छोटे कारोबारियों को राहत देना काउंसिल के एजेंडा में सबसे ऊपर है। काउंसिल कंपोजीशन स्कीम की मौजूदा सीमा सालाना 75 लाख रुपये के टर्नओवर को बढ़ाकर एक करोड़ रुपये कर सकती है। दरअसल कंपोजीशन स्कीम के तहत पंजीकृत व्यापारियों को एक प्रतिशत, मैन्युफैक्चरर को दो प्रतिशत और रेस्टोरेंट सेवा देने वालों को पांच प्रतिशत की दर से जीएसटी का भुगतान करना होता है। उन्हें जीएसटी का मासिक भुगतान और रिटर्न भी हर माह दाखिल नहीं करना पड़ता। हालांकि कंपोजीशन स्कीम का चुनाव करने वाले व्यापारी टैक्स इन्वॉयस जारी नहीं कर सकते इसलिए वे अपने इनपुट पर दिए गए टैक्स का क्रेडिट प्राप्त नहीं कर सकते।
सूत्रों ने कहा कि कंपोजीशन स्कीम के साथ-साथ डेढ़ करोड़ रुपये तक सालाना टर्नओवर वाले को जीएसटी का हर माह भुगतान और रिटर्न दाखिल करने छूट भी दी जा सकती है। ऐसा होने पर ये कारोबारी प्रत्येक तिमाही अपना रिटर्न दाखिल कर सकेंगे और जीएसटी का भुगतान कर सकेंगे।
सूत्रों ने कहा कि काउंसिल सीजीएसटी कानून की धारा 9 (4) के प्रावधानों को चालू वित्त वर्ष के अंत तक निलंबित रखने के प्रस्ताव पर भी चर्चा हो सकती है। दरअसल इस धारा के तहत यह प्रावधान किया गया है कि अगर कोई व्यक्ति या कंपनी किसी गैर-पंजीकृत व्यक्ति से ऐसी वस्तु या सेवा खरीदता है जिस पर जीएसटी देय है तो यह जीएसटी देने की जिम्मेदारी उस पंजीकृत व्यक्ति की होगी जो जीएसटी के तहत पंजीकृत है। सूत्रों ने कहा कि काउंसिल इस बात पर भी चर्चा करेगी कि ई-वे बिल को राष्ट्रव्यापी स्तर पर कब से क्रियान्वित किया जाए।
काउंसिल की यह बैठक ऐसे समय हो रही है जबकि एक दिन पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि जीएसटी लागू हुए तीन माह हुए हैं और इसके क्रियान्वयन की समीक्षा की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि व्यापारियों को जो दिक्कतें हो रही हैं उन्हें दूर करने के उपाय भी जीएसटी काउंसिल की बैठक में होने चाहिए।
सूत्रों ने कहा कि जीएसटी काउंसिल निर्यातकों को राहत देने के लिए भी कुछ उपाय कर सकती है। काउंसिल की हैदराबाद में हुई बैठक में निर्यातकों की समस्याओं पर विचार करने के लिए अधिकारियों की एक समिति बनाने का निर्णय किया गया था। इसके बाद वित्त मंत्री ने राजस्व सचिव हसमुख अढिया के नेतृत्व में यह समिति गठित की थी। काउंसिल समिति की सिफारिशों के आधार पर निर्यातकों के लिए राहत के प्रस्तावों का फैसला करेगी।