जनजीवन ब्यूरो / नयी दिल्ली : न्यूनतम वेतन पाने वाले केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी 17 प्रतिशत बढ़ाने का निर्णय ले लिया गया है. इस फैसले के तहत केंद्रीय कर्मियों का न्यूनतम 18 हजार रुपये से बढ़कर 21 हजार रुपये हो जायेगा और इसका लाभ एक जनवरी 2018 से केंद्रीय कर्मियों को मिलेगा. इस प्रस्ताव पर विसंगति समिति एवं वित्तमंत्री एक बार और विचार करेंगे और फिर यह विषय कैबिनेट में जायेगा. लेकिन, एक बड़ी बात यह कि अबतक न्यूनतम वेतन पा रहे केंद्रीय कर्मियों को सरकार वेतन संशोधन के अनुरूप कोई एरियर नहीं देगी, जो भी बढ़ा वेतन उन्हें मिलना है वह पहली जनवरी 2018 से ही प्रभावी होगा. इसके पीछे कारण जीडीपी में आयी गिरावट को बताया जा रहा है और सरकार अभी आर्थिक दबावों का का सामना करना पड़ रहा है.
उल्लेखनीय है कि सातवें वेतन आयोगी की सिफारिशों के अनुसार केंद्रीय कर्मियों के वेतन में संशोधन किया गया था और न्यूनतम वेतन सात हजार रुपये से 18 हजार रुपये कर दिया गया था, लेकिन इस फैसले से कर्मचारी संगठन नाराज थे. आयोग ने फरवरी 2014 में अपनी सिफारिशें दी थी, जिसे मोदी सरकार ने अस्तित्व में आने के बाद लागू किया. इस पर कर्मचारी संघों ने तब नाराजगी जतायी थी और कहा था कि 70 साल में केंद्रीय कर्मियों की तनख्वाह सबसे कम मात्र 14.27 प्रतिशत बढ़ी है, जो लिविंग स्टैंडर्ड के अनुरूप नहीं है. उन्होंने सरकार पर इस पर विचार करने के लिए दबाव डाला और निचले स्तर के कर्मियों का न्यूनतम वेतन कम से कम 26 हजार करने का दबाव बनाया. जिसके बाद वित्तमंत्री अरुण जेटली ने मामले को नेशनल एनोमली कमेटी यानी राष्ट्रीय विसंगति कमेटी को सौंप दिया. इस कमेटी व मजदूर संगठनों के बीच लगातार वार्ता जारी थी और इस वार्ता के आधार पर ही न्यूनतम वेतन 21 हजार रुपये करने पर सहमति बनी थी.
ध्यान रहे कि वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार, केंद्रीय कर्मियों का अधिकतम वेतन 80 हजार रुपये को बढ़ाकर 2.25 लाख रुपये किया गया था, वहीं कैबिनेट सेक्रेटरी के लिए यह 2.50 लाख रुपये है. सभी स्तर के कर्मियों के लिए यह वेतन संशोधन फिटमेंट फैक्टर के आधार पर 2.57 गुणा था, लेकिन अब निचले स्तर के कर्मियों की तनख्वाह में वृद्धि होने पर यह उनके लिए तीन गुणा हो जायेगा. अगर इसे 26 हजार किया जाता तो यह 3.68 गुणा हो जाता, जिसके लिए सरकार तैयार नहीं हुई.