जनजीवन ब्यूरो / नोएडा । चर्चित आरुषि-हेमराज हत्याकांड में गुरुवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला आज आने वाला है। करीब 9 साल पहले नोएडा के सेक्टर-25 स्थित जलवायु विहार में हुई इस मर्डर मिस्ट्री की पुलिस के बाद सीबीआई की दो टीमों ने जांच की थी। फैसला से साफ हो जाएगा कि हाई कोर्ट की ओर से किस जांच टीम की थिअरी पर मुहर लगेगी। गाजियाबाद स्थित विशेष सीबीआई अदालत ने 26 नवंबर, 2013 को राजेश और नुपुर को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इससे एक दिन पहले इनको दोषी ठहराया गया था। आरुषि इनकी बेटी थी।
विशेष अदालत की सजा के खिलाफ तलवार दंपती ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। इस पर जस्टिस बीके नारायण और जस्टिस एके मिश्रा की खंडपीठ ने तलवार दंपति की अपील पर सात सितंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। फैसला सुनाने की तारीख 12 अक्टूबर को तय की थी। मई, 2008 में नोएडा के जलवायु विहार इलाके में 14 साल की आरषि का शव उसके मकान में बरामद हुआ था। शुरुआत में शक की सुई हेमराज की ओर गई, लेकिन दो दिन बाद मकान की छत से उसका भी शव बरामद किया गया। उत्तर प्रदेश की तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने मामले की जांच सीबीआई को सौंपी थी।
तत्कालीन आईजी गुरदर्शन सिंह ने 23 मई 2015 को नोएडा पुलिस की ओर से की गई जांच का हवाला देते हुए बताया था कि डॉ. राजेश तलवार ने आरुषि और हेमराज को आपत्तिजनक स्थिति में देखने के बाद पहले हेमराज की और बाद में आरुषि की हत्या की। हालांकि, दबाव बढ़ने पर आईजी ने अपनी थिअरी को बदल दिया और कहा कि डॉ. तलवार ने अवैध संबंधों के विरोध पर पहले आरुषि को मारा और बाद में हेमराज को। दोहरे हत्याकांड में पुलिस ने आरुषि की मां डॉ. नूपुर तलवार को साजिश में शामिल बताया था।
नोएडा पुलिस की जांच पर सवाल उठे थे। इसके बाद 31 मई को केस सीबीआई को ट्रांसफर किया गया। जॉइंट डायरेक्टर अरुण कुमार सिंह की टीम ने डॉ. तलवार के डेंटल क्लिनिक पर काम कर चुके कृष्णा, तलवार के नजदीकी दुर्रानी दंपती के नौकर राजकुमार और पड़ोस में काम करने वाले विजय मंडल को हत्याकांड का आरोपी माना। इसके बाद केस की जांच सितंबर 2009 में सीबीआई की दूसरी टीम ने शुरू की। इस टीम ने तीनों नौकरों को क्लीन चिट दी और परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर तलवार दंपती को ही मुख्य आरोपी माना। सीबीआई ने दलील दी कि जोर जबरदस्ती किए जाने के कोई सबूत नहीं मिले।
वारदात के बाद आरुषि के शव को ढकने, बिस्तर पर चादर को ठीक करने, प्राइवेट पार्ट्स को साफ करने और हेमराज की बॉडी को छिपाने का काम कोई बाहरी नहीं करेगा। हालांकि, इस टीम ने माना कि हेमराज का खून दंपती के कपड़ों पर नहीं मिला। वारदात के शामिल हथियार नहीं मिले। तलवार दंपती पर किए गए साइंटिफिक टेस्ट भी किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सके। वारदात में सीधे तौर पर तलवार दंपती के शामिल होने के कोई सबूत नहीं मिले, जिस पर क्लोजर रिपोर्ट लगा दी गई।
16 मई 2008 की सुबह आरुषि (14) की लाश मिलने के बाद नोएडा पुलिस की ओर से नौकर हेमराज को हत्यारोपी बताया गया, अगले दिन उसकी लाश छत पर पड़ी मिली। करीब 7 दिन बाद 23 मई को आरुषि के पिता डॉ. राजेश तलवार को गिरफ्तार किया गया। 31 मई को इसकी जांच सीबीआई को सौंपी गई। सितंबर 2009 में सीबीआई की दूसरी टीम को जांच दी गई। टीम ने तलवार दंपती को आरोपी बताते हुए साक्ष्य न होने पर क्लोजर रिपोर्ट लगाई। कोर्ट ने क्लोजर रिपोर्ट को ही चार्जशीट में तब्दील कर तलवार दंपती पर केस चलाने के आदेश दिए। 26 नवंबर 2013 को आरुषि के माता-पिता को दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।