जनजीवन ब्यूरो / वॉशिंगटन । वित्त मंत्री अरुण जेटली रियल एस्टेट को भी जीएसटी के दायरे में लाने की तैयारी कर रहे हैं। ऐसा होने पर घर खरीदने पर सिर्फ एक ही टैक्स देना होगा, यानि घर खरीदना सस्ता हो जाएगा। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में लेक्चर देते हुए जेटली ने कहा कि इस मामले पर गुवाहाटी में 9 नवंबर को होने वाली जीएसटी की अगली बैठक में चर्चा की जाएगी। जेटली ने गुरुवार को कहा कि रियल एस्टेट में सबसे ज्यादा टैक्स चोरी होती है इसलिए इसे जीएसटी के दायरे में लाना चाहिए।
वह बोले की रियल एस्टेट में ही सबसे अधिक नकदी पैदा होती है और यही जीएसटी के दायरे से बाहर है। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसा करने के लिए कुछ राज्य भी जोर दे रहे हैं। हालांकि, कुछ राज्य ऐसे भी हैं, जो नहीं चाहते हैं कि रियल एस्टेट को जीएसटी के दायरे में लाया जाए। वह बोले कि ऐसा करने के लिए वह कम से कम इस मुद्दे पर चर्चा तो करेंगे ही और एक अंतिम फैसला लेने की कोशिश करेंगे।
जेटली ने कहा कि रियल एस्टेट के जीएसटी के दायरे में आने से सबसे अधिक फायदा उपभोक्ताओं को ही होगा। ऐसा होने पर उपभोक्ताओं को उत्पाद पर केवल अंतिम कर ही देना होगा और जीएसटी में लगने वाला यह अंतिम कर काफी कम होगा। उन्होंने यह भी कहा कि इससे कालेधन पर भी लगाम लगाई जा सकेगी। आपको बता दें कि जिस तरह से सरकार रियल एस्टेट को जीएसटी के दायरे में लाने पर विचार कर रही है, आज नहीं तो कल रियल एस्टेट भी जीएसटी के दायरे में आ ही जाएगा।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा, अगली बैठक में (जीएसटी की) में हम इस समस्या पर कम से कम चर्चा तो करेंगे ही। कुछ राज्य इसे (रियल एस्टेट को जीएसटी के दायरे में लाना) चाहते हैं और कुछ नहीं। यह दो मत हैं और चर्चा करने के बाद हमारी कोशिश होगी कि एक मत पर सहमति बनाई जाए। उन्होंने कहा कि इसका फायदा कस्टमर को होगा, जिन्हें पूरे प्रॉडक्ट पर केवल एक ही टैक्स देना होगा। सबसे बड़ी बात यह है कि जीएसटी के तहत यह इकलौता टैक्स नहीं के बराबर होगा।
फिलहाल है यह नियम
जेटली ने कहा कि टैक्स दायरे के तहत लोगों को लाने के लिए दी जाने वाली छूट और कम खर्च होने से कालेधन से चलने वाली अर्थव्यवस्था का आकार घटाने में भी मदद मिलेगा। किसी परिसर, इमारत और सामुदायिक ढांचे के निर्माण पर या किसी एक खरीदार को इसे पूरा या हिस्से में बेचने पर 12% जीएसटी लगाया गया है। हालांकि भूमि एवं अन्य अचल संपत्तियों को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है।
नोटबंदी पर जेटली ने कहा कि यह एक बुनियादी सुधार है जो भारत को एक और अधिक टैक्स चुकाने वाले समाज के तौर पर बदलने के लिए जरूरी था। उन्होंने कहा, यदि आप इसके दीर्घकालिक प्रभाव को देखें तो नोटबंदी से डिजिटल लेनदेन बढ़ा है। इसने व्यक्तिगत कर आधार को बढ़ाया है। इसने नकद मुद्रा को 3 प्रतिशत तक कम किया जो बाजार में चलन में थी।
सरकार है इसके लिए सक्षम
उन्होंने कहा, यह स्वभाविक है कि किसी के पास यदि पैसा है तो वह बैंक में जमा करेगा लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उसका धन कानूनी हो गया। वह अभी इसके लिए जवाबदेह हैं। इसलिए नकदी रखने की जो गुप्त पहचान थी, उसका अंत हुआ है और इसे रखने वालों की पहचान हुई है। जेटली ने कहा कि सरकार उन 18 लाख लोगों की जांच करने में सक्षम है जिनकी जमा उनकी सामान्य आय से मेल नहीं खाती है। वे कानून के प्रति जवाबदेह हैं और उन्हें अपना कर चुकाना होगा। उल्लेखनीय है कि जेटली अमेरिका की सप्ताह भर की यात्रा पर हैं। यहां वह विश्वबैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की वार्षिक बैठक में हिस्सा लेने आए हैं।