जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली । आज तलवार दंपती डासना जेल से रिहा होकर घर लौट आए। वह अगले कुछ दिन आरुषि के नाना-नानी के साथ जलवायु विहार एल-245 में रहेंगे। घर पहुंचते ही नूपुर तलवार की मां लता चिटनिस ने दोनों की आरती उतारी, जिसके बाद परिवार ने घर पर पूजा की। घर लौटने के बाद तलवार दंपती ने मीडिया से बात नहीं की।
राजेश तलवार के भाई डॉ. दिनेश ने कहा, ‘इन 4 सालों में हमने अपनी भावनाओं पर काबू रखा, क्योंकि सच्चाई के लिए लड़ना इतना आसान नहीं था। सीबीआई कोर्ट ने जिस दिन दोनों को सजा सुनाई थी, उस दिन राजेश ने कहा था कि मुझे आरुषि के लिए अंतिम समय तक लड़ना है। डॉ. दिनेश ने कहा कि आरुषि अच्छी लड़की थी और हेमराज खराब आदमी नहीं था। ये दोनों दोषी नहीं थे। नूपुर के माता-पिता बुजुर्ग हैं और उन्हें राजेश व नूपुर की मदद की जरूरत है। आरुषि को नहीं भुलाया जा सकता, लेकिन अब दोनों राजेश और नूपुर को सामान्य होने में मदद करेंगे। इसके लिए उन्हें कुछ समय देना होगा। हमारी लड़ाई सच्चाई को सामने लाने की थी। इसके लिए जो हम कर सकते थे, वह किया।’
शाम को जेल से रिहा हो गए। जेल से बाहर सुबह से ही मीडिया का जमावड़ा लगा हुआ था। शाम करीब 5 बजे तलवार दंपती जेल से बाहर निकले। दोनों मीडिया से बात किए बगैर वहां से रवाना हो गए। आरुषि के पिता डॉक्टर राजेश तलवार और मां डॉक्टर नूपुर तलवार नवंबर 2013 से गाजियाबाद की डासना जेल में बंद थे। आरुषि हत्याकांड में विशेष सीबीआई कोर्ट ने दोनों को सजा सुनाई थी लेकिन हाई कोर्ट ने सीबीआई अदालत का फैसला पलट दिया।
तलवार दंपती चार बजकर 55 मिनट पर जेल के मुख्य दरवाजे से बाहर आए। वे तकरीबन पिछले 4 वर्ष से सलाखों के पीछे थे। उनके चेहरे पर उदासी के भाव थे। राजेश सफेद कमीज और नीली पेंट पहने हुए थे जबकि उनकी पत्नी नारंगी कुर्ते के साथ सफेद सलवार और दुपट्टा पहने थीं। उनके पास बैग भी थे।
आरुषि के चाचा दिनेश तलवार और वकील तनवीर अहमद मीर 4 बजकर 48 मिनट पर जेल पहुंचे। तलवार दंपती के जेल से बाहर आने पर फटॉग्राफर और कैमरामैन उन्हें अपने कैमरे में कैद करने में जुट गए। इसके बाद वे कार में जाकर बैठ गए। पुलिस ने तलवार दंपती को नोएडा के जलवायु विहार स्थित नूपुर के माता-पिता के घर पहुंचाया। नूपुर के पिता बी. जी. चिटनिस भारतीय वायुसेना में ग्रुप कैप्टन रहे हैं। चिटनिस का फ्लैट उसी इलाके में है जहां तलवार दंपती का आवास था, जिसमें 2008 में उनकी बेटी आरुषि और घरेलू नौकर हेमराज की हत्या कर दी गई थी।
मीडिया और जलवायु विहार के लोग चिटनिस के फ्लैट के सामने एकत्रित हो गए। शाम करीब 6 बजे कार इस सोसायटी में पहुंची। सामने की सीट पर बैठे दिनेश ने कार से उतरकर मौजूद मीडिया से परिवार की निजता का सम्मान करने को कहा। इससे पहले उनकी पत्नी वंदना ने तलवार दंपती को अकेला छोड़ने का अनुरोध किया था। 5 मिनट बाद पीछे की सीट पर बैठे तलवार दंपती कार से बाहर निकले और फ्लैट की सीढियों की तरफ बढ़ गए। उन्होंने मीडिया से एक शब्द भी नहीं कहा।
मई, 2008 में नोएडा के जलवायु विहार इलाके में 14 साल की आरुषि का शव उसके मकान में बरामद हुआ था। शुरुआत में शक की सुई नौकर हेमराज की ओर गई, लेकिन 2 दिन बाद मकान की छत से उसका भी शव बरामद किया गया। उत्तर प्रदेश की तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने मामले की जांच सीबीआई को सौंपी थी।
गौरतलब है कि तलवार दंपती ने उम्रकैद की सजा के खिलाफ इलाहाबाद हाई कोर्ट में अपील की थी। 12 अक्टूबर 2017 को मामले की जांच में खामियां बताते हुए कोर्ट ने तलवार दंपती को बरी कर दिया था। हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि आरुषि को ममी-पापा ने नहीं मारा। कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में सुप्रीम कोर्ट भी इतनी कठोर सजा नहीं देता है।
गाजियाबाद स्थित विशेष सीबीआई अदालत ने 26 नवंबर, 2013 को राजेश और नूपुर को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इससे एक दिन पहले इन्हें दोषी ठहराया गया था। तलवार दंपती ने इस फैसले को इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। उनकी याचिका पर हाई कोर्ट के जस्टिस बी. के. नारायण और जस्टिस ए. के. मिश्रा की खंडपीठ ने 7 सितंबर 2017 को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। फैसला सुनाने की तारीख 12 अक्टूबर तय की गई थी।