अमलेंदु भूषण खां / नई दिल्ली । देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का एक अखबार को दिया बयान हमारे सामने आया है जिसमें उन्होने अपनी एक गलती का जिक्र किया है। प्रणब ने 6 साल पहले बाबा रामदेव से मुलाकात को अपनी बड़ी गलतियों में से एक बताया है। एक दर्शक ने जब पूछा था कि आप कांग्रेस के दूसरे शासनकाल के दौरान 2011 में योग गुरू बाबा रामदेव से एयरपोर्ट पर क्यों मिले थे जिस पर उन्होने कहा कि राजनीति के लिहाज से ये मेरा बहुत ही गलत फैसला था। हमें उनसे नहीं मिलना चाहिए था।
प्रणब मुखर्जी ने मुलाकात के कारणों का पूरी तरह खुलासा करते हुए कहा कि अन्ना आंदोलन के चलते कांग्रेस सरकार पहले से ही बहुत मुश्किलों में थी। वहीं बाबा रामदेव भी भूख हड़ताल पर बैठने का ऐलान कर चुके थे ऐसे में कांग्रेस सरकार की मुश्किलें बहुत ज्यादा बढ़ जाती। हम बाबा रामदेव से मुलाकात करके इस भूख-हड़ताल को रोकने के लिए गंभीरता से विचार कर रहे थे। लेकिन आखिर में यह हमारी सबसे बड़ी भूल साबित हुई।
आपको बता दें कि प्रणब मुखर्जी उस समय मनमोहन सरकार में वित्त मंत्री का कार्यभार संभाले हुए थे। उन्होने तत्कालीन मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्बल के साथ मिलकर दिल्ली एयरपोर्ट पर बाबा रामदेव से मुलाकात की थी। बाबा रामदेव कालेधन और भ्रष्टाचार को लेकर केन्द्र सरकार के खिलाफ बहुत बड़ा प्रदर्शन करने वाले थे जिसके लिए उज्जैन से दिल्ली पहुंचे थे।
प्रणव मुखर्जी ने अपनी आत्मकथा के तीसरे खंड ‘द कोएलिशन ईयर्स:1996-2012’ में शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे से खुद की मुलाकात से जुड़े तथ्यों को पूरी तरह उजागर किया है। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अपनी आत्मकथा में इस बात का पुरजोर उल्लेख किया है कि साल 2012 राष्ट्रपति चुनाव के दौरान जब वो बाल ठाकरे से मिले थे तब सोनियां गांधी उनसे बहुत नाराज हुई थीं। क्यों कि सोनियां गांधी ने उन्हें बाल ठाकरे से मुलाकात नहीं करने की सलाह दी थी।
आपको बता दे की प्रणव दा ने अपनी किताब में लिखा है कि बाल ठाकरे की ओर से मुझे मातोश्री आने के कई संदेश मिले थे। इसके बाद NCP अध्यक्ष शरद पवार ने भी मुझे ठाकरे से मिलने की सलाह दी। प्रणव मुखर्जी ने यह लिखा हैं कि बाल ठाकरे से मिलना उनकी उम्मीदों से परे था। उन्होंने इस बात का उल्लेख किया है कि ठाकरे ने मातोश्री में उनके स्वागत की तैयारियां बहुत पहले से ही कर रखी थीं।
पूर्व राष्ट्रपति का मानना था कि अगर वो बाल ठाकरे से नहीं मिलते हैं, तो शायद उनका व्यक्तिगत बहुत अपमान होगा और फिर परंपरागत सहयोगी पार्टी के फैसले के विरूद्ध जाकर उन्हें समर्थन देने का ऐलान करना ये बहुत ही बड़ी बात है। इसलिए प्रणव दा ने बाल ठाकरे से मुलाकात की।