जनजीवन ब्यूरो
ढाका। बांग्लादेश को आजाद कराने में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की अहम भूमिका थी लेकिन बांग्लादेश ने रविवार को भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और भाजपा के दिग्गज नेता अटल बिहारी वाजपेयी को अपने प्रतिष्ठित मुक्ति संग्राम सम्मान से नवाजा। यह सम्मान बांग्लादेश के स्वाधीनता संघर्ष में उनकी सक्रिय भूमिका के लिए दिया गया। वाजपेयी की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह सम्मान ग्रहण किया। इस अवसर पर मोदी ने कहा कि वाजपेयी उनके और अन्य राजनीतिक कार्यकर्ताओं के लिए प्रेरणास्रोत हैं।
बंग भवन के नाम से चर्चित बांग्लादेश के राष्ट्रपति भवन में आयोजित भव्य समारोह में राष्ट्रपति अब्दुल हामिद ने मोदी को यह सम्मान सौंपा। 90 वर्षीय वाजपेयी का स्वास्थ्य ठीक नहीं है और वह यात्रा करने में असमर्थ हैं। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री शेख हसीना, उनके मंत्रिमंडलीय सहयोगी, राजनयिक और बांग्लादेश के शीर्ष अधिकारी शामिल थे।
बांग्लादेश की स्वतंत्रता की लड़ाई को वाजपेयी के समर्थन को याद करते हुए मोदी ने कहा कि वाजपेयी ने नेतृत्व में भारतीय जनसंघ ने मुक्ति संग्राम के समर्थन में सत्याग्रह आयोजित किया था और एक युवा स्वयंसेवी की तरह वह खुद उसमें भाग लेने गांव से आए थे।
मोदी ने कहा, जब आपने स्वाभिमान की लड़ाई लड़ी तो मैं भी उन भारतीयों में शामिल था जो तहे दिल से चाहते थे कि आपने सपने सच हों। तालियों की गड़गड़ाहट के बीच मोदी ने कहा कि जब बांग्लादेश के मुक्ति योद्धा अपना लहू बहा रहे थे तो भारतीय भी साथ-साथ उनकी मदद करने के लिए लड़ रहे थे।
पुरस्कार के अवतरण में वाजपेयी को अत्यंत सम्मानित राजनीतिक नेता बताते हुए बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम के समर्थन में उनकी सक्रिय भूमिका का सम्मान किया गया है। तब आर्गेनाइजर की संपादकीय कॉलम में वाजपेयी ने बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान द्वारा बांग्लादेश की स्वतंत्रता की ऐतिहासिक घोषणा का स्वागत किया था और भारत सरकार को बांग्लादेश की सरकार को मान्यता देने और स्वतंत्रता सेनानियों को जरूरी सहायता मुहैया कराने को कहा था।
इस अवसर पर प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कहा कि बांग्लादेश का सौभाग्य था कि स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान भारत साथ था। उन्होंने भी बांग्लादेश की आजादी में वाजपेयी के योगदान को याद किया।