जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली। केंद्र की मोदी सरकार ने बृहस्पतिवार को दालों के निर्यात से सारे प्रतिबंध हटाने का फैसला किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट की आर्थिक मामलों की समिति ने अपनी संस्तुति प्रदान की। कैबिनेट के फैसलों को मीडिया से साझा करते हुए केंद्रीय कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने बताया कि इस फैसले के पीछे देश में बढ़ी हुई दलहन पैदावार मुख्य कारण है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री और दूसरे मंत्रियों की अपील पर देश के किसानों ने दाल की बोवाई का रकबा बढ़ा दिया जिसके कारण 2016—17 में देश में किसानों कुल 23 मिलियन टन दाल का उत्पादन हुआ। इसमें से 20 लाख टन सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद लिया था।
उन्होंने बताया कि जिस समय दाल की खरीदी हुई थी उस समय बाजार में दालों की कीमत अधिक थी। खरीदी गई दाल का उपयोग बफर स्टॉक और राज्यों तथा आम जनता के बीच दाल को बेच कर आम आदमी को राहत देने की कोशिश की गई।
जानकारों ने बताया कि अधिक दाल उत्पादन के कारण तथा निर्यात पर प्रतिबंध के कारण अब दाल पैदा करने वाले किसानों को दाल की सही कीमत नहीं मिल पा रही थी। इसके कारण किसान फिर एक बार दाल की फसल से दूसरी फसलों की ओर अपना झुकाव बढ़ाने लगा था। सरकार ने निर्यात पर प्रतिबंध को हटा कर किसानों को हो रहे नुकसान को कम करने का प्रयास किया है। व्यापारी अब निर्यात के लिए भी किसानों से दाल खरीदेगा और जिसके कारण बाजार में खरीददार बढ़ेंगे तथा किसानों को उसकी पैदावार की सही कीमत मिल सकेगी।
आम उपभोक्ता को महंगी मिल सकती है दाल
कृषि मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि अभी तक दाल का निर्यात नहीं होता था जिसके कारण देश में पैदा होने वाली संपूर्ण दाल को देश में बेचने की मजबूरी थी और दाम चढ़ नहीं पा रहा था। परंतु अब निर्यात खुलने के कारण बाजार में दाल की आपूर्ति में कमी आएगी और जिसका खामियाजा दाल की कीमत पर पड़ने की पूरी संभावना है।