जनजीवन ब्यूरो / इस्लामाबाद । पाकिस्तान में तहरीके-ए-लब्बैक (टीएलपी) या रसूल अल्लाह नाम के इस्लामिक संगठन के 20 दिन से जारी धरने को खत्म कराने के लिए शनिवार सुबह प्रदर्शनकारियों पर सुरक्षाबलों की कार्रवाई से इस्लामाबाद में हंगामा बरपा हुआ है। शनिवार सुबह पाकिस्तान सुरक्षाबलों ने फैजाबाद इंटरचेंज पर धरने पर बैठे प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए बल प्रयोग शुरू किया। इसके बाद से पत्थरबाजी और पुलिस से झड़प का दौर जारी है। फैजाबाद में छिड़े इस बवाल ने पाकिस्तानी राजधानी को एक तरह से बंधक सा बना दिया है।
प्रदर्शनकारियों की तादाद ज्यादा नहीं है, लेकिन पत्थर-डंडों से छिप-छिपकर किए जा रहे हमलों ने पाकिस्तान के सुरक्षाबलों की नाक में दम कर दिया है। इस बीच पाक सरकार द्वारा प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई के लाइव कवरेज से मीडिया को रोकने पर पाकिस्तान इलेक्ट्रॉनिक मीडिया रेग्युलेटरी अथॉरिटी (PEMRA) ने विरोध में सभी टीवी चैनलों से अपना प्रसारण रोकने को कहा है। हालांकि जियो न्यूज समेत पाकिस्तान के कुछ न्यूज चैनलों ने प्रसारण बंद नहीं किया है।
शनिवार सुबह पुलिस और अर्धसैनिक बलों के साढ़े 8 हजार जवानों ने राजधानी इस्लामाबाद के फैजाबाद इंटरचेंज में धरने पर बैठे करीब 2000 प्रदर्शनकारियों को खदेड़ना शुरू किया। इसके बाद चारों तरफ अफरातफरी मच गई। प्रदर्शनकारियों ने सड़कों और बाजारों को बंद कर दिया है। यह धरना 6 नवंबर को टीएलपी नाम के छोटे से इस्लामिक संगठन ने शुरू किया था। अब प्रदर्शनकारियों ने मुख्य हाइवे को ब्लॉक कर दिया है जिसकी वजह से रोज हजारों लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। टीएलपी कार्यकर्ता अल्पसंख्यक अहमदी समुदाय के प्रति कथित नरम रुख को लेकर संघीय और प्रांतीय कानून मंत्री जाहिद हमीद और राणा सनाउल्लाह के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाबलों के बीच झड़पों की भी खबर मिली है। कुछ प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है। इलाके में कुछ ऐंबुलेंस भी देखी गई हैं, हालांकि अभी तक यह साफ नहीं हो सका है कि कोई झड़प में घायल हुआ है या नहीं। इस हफ्ते पाकिस्तानी सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि यह प्रदर्शन पहले ही एक 8 साल के बच्चे की जान ले चुका है। ऐंबुलेंस रास्ते बंद होने की वजह से समय पर अस्पताल नहीं पहुंच सकी थी। हालांकि, यह प्रदर्शन बहुत छोटे स्तर पर हो रहा है, लेकिन इसके बावजूद प्रशासन इसके खिलाफ कदम नहीं उठा रहा। सरकार की निष्क्रियता को देखते हुए पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट और इस्लामाबाद हाई कोर्ट ने जल्द से जल्द रास्ते खाली कराने का अल्टिमेटम दिया था।
आखिर क्या है बवाल की वजह
प्रदर्शनकारियों का मानना है कि चुने हुए प्रतिनिधियों के शपथ वाले नियम में इलेक्शन ऐक्ट 2017 के अधिनियम के तहत मोहम्मद साहब की सर्वोच्चता को चुनौती दी गई है। हालांकि सरकार ने इसे एक मानवीय भूल बताया था। सरकार संसद के एक ऐक्ट के तहत इसमें सुधार कर चुकी है। पर प्रदर्शनकारी कानून मंत्री जाहिद हामिद की इस्तीफे की मांग पर अड़े हुए हैं। हालांकि अभी इस बात के कोई प्रमाण नहीं है कि ऐक्ट में बदलाव के लिए हामिद जिम्मेदार हैं। राजा जाफारूल हक के नेतृत्व में एक कमिटी इस मामले की जांच कर रही है।
इस विरोध प्रदर्शन का कई धार्मिक पार्टियों के प्रमुखों, सुप्रीम कोर्ट तथा हाई कोर्ट ने अवैध बताया है। इस्लामाबाद हाई कोर्ट तो प्रदर्शनकारियों के इस रवैये को ‘आतंकी कृत्य’ तक करार दे दिया। पाकिस्तान के गृह मंत्री ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर प्रदर्शनकारियों ने धरनास्थल खाली नहीं किया तो उनके खिलाफ मानहानि की कार्रवाई की जाएगी। सरकार ने प्रदर्शनकारियों से कई दौर की बात की, लेकिन उसे हर असफलता ही हाथ लगी थी।