जन जीवन ब्यूरो / नई दिल्ली । दिल्ली के मैक्स हॉस्पिटल के खिलाफ जांच में एक और बात का खुलासा हुआ है। जिंदा नवजात बच्चे को मृत घोषित करने के मामले में बच्चे के पिता आशीष ने पुलिस में एफआईआर दर्ज करवाई थी। जिसके बाद पुलिस ने इस मामले की जांच शुरू की। जांच में पता चला कि पहले तो हॉस्पिटल में जीवित नवजात को मृत घोषित कर दिया उसके बाद जब जीवित नवजात को परिवार वालों ने नर्सरी में रखने को कहा तो हॉस्पिटनव ने उनसे 50 लाख रुपए मांगे। इसके अलावा बच्चे की मां के बहतर इलाज के लिए 35 हजार रुपए अलग से मांगे।
बच्चे के पिता आशीष ने एफआईआर में बताया कि उसकी पत्नी ने सिर्फ छह महीने में दो जुड़वां बच्चों के जन्म दे दिया था। प्रीमेच्योर डिलेवरी होने की वजह से हॉस्पिटल में दोनों ही बच्चों को मृत घोषित कर दिया लेकिन बाद में पता चला कि उनमें से एक बच्चा जिंदा है। समय से पहले पैदा होने की वजह से जीवित बच्चा काफी कमजोर था, जिसकी वजह से उसे नर्सरी में रखना जरूरी था, ऐसे में अस्पताल ने बच्चे को खतरे से बाहर आने तक के समय के लिए नर्सरी में रखने के लिए उनसे 50 लाख रुपए मांगे थे।
बता दें कि 30 नवंबर की सुबह मैक्स अस्पताल में वर्षा नाम की एक महिला ने जुड़वां बच्चों (एक लड़का और एक लड़की) को जन्म दिया था। बच्ची मृत ही पैदा हुई थी। पुलिस ने बताया कि वर्षा को पश्चिम विहार के एक नर्सिंग होम से अस्पताल ले जाया गया था। अस्पताल ने बच्चे के माता-पिता को पहले बताया कि दोनों बच्चे मृत पैदा हुए हैं और उन्हें दोनों बच्चे एक पॉलिथिन बैग में सौंप दिए गए। लेकिन उनके अंतिम संस्कार से ठीक पहले परिवार ने पाया कि एक बच्चा जीवित है। बच्चे के पिता ने पत्रकारों को बताया कि हम बच्चे को तुरंत पीतमपुरा के एक नर्सिंग होम ले गए, जहां वह जीवन रक्षक प्रणाली पर है।
इस पर दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने भी कहा है कि अगर अस्पताल को जांच में लापरवाही का दोषी पाया गया तो उसका लाइसेंस रद्द किया जा सकता है। सरकार ने मैक्स अस्पताल की ओर से की गई लापरवाही की जांच के आदेश उस वक्त दिए थे, जब यह सामने आया था कि इसके डॉक्टरों ने जिस बच्चे को मृत घोषित कर दिया था, वह बाद में जीवित पाया गया। जैन ने पत्रकारों को बताया कि एक बार रिपोर्ट आ जाने पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी। अगर अस्पताल को मेडिकल लापरवाही का दोषी पाया जाता है तो इसका लाइसेंस भी रद्द किया जा सकता है।