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नई दिल्ली,16 साल पूर्व संसद पर हुए आतंकी हमले के शहीदों को संसद बुधवार को श्रृद्धा सुमन करेगी। लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन के अलावा दूसरे गणमान्य नेता और अधिकारी शहीदों को याद करते हए उन्हें अपने सुमन अर्पित करेंगे।
13 दिसंबर को ही 2001 में पांच पाक आतंकियों ने देश के लोकतंत्र के सर्वोच्च प्रतीक संसद पर संसद मार्ग की ओर से हमला कर दिया था। उस समय संसद का सत्र चल रहा था तथा तत्कालीन एनडीए सरकार के वरिष्ठ मंत्री और दूसरे वरिष्ठ नेता संसद भवन में मौजूद थे। जैश—ए—मोहम्मद तथा लश्कर—ए—तैयबा के आतंकियो मोचा लेते हुए पुलिस के छह जवान, संसद सुरक्षा के दो सदस्य तथा एक माली को आतंकियों के साथ मुठभेड़ में अपनी जान गवानी पड़ी थी। इस घटना के समय बताया जाता था कि तत्कालीन उप प्रधानमत्री लालकृष्ण आडवाणी तथा रक्षा राज्य मंत्री हिरेन पाठक संसद भवन में मौजूद थे।
संसद सुरक्षा पर बहस
इस एक घटना ने भारतीय लोकतंत्र को अंदर तक हिला दिया था। संसद की सुरक्षा पर सरकार ने गंभीरता से विचार करते हुए उसे चाक चौबंद करना शुरू किया था जिसका परिणाम रहा है की आज संसद बाहर से काफी सुरक्षित दिखाई पड़ती है। परंतु उसकी सुरक्षा में अभी भी बहुत से छेद बताए जाते हैं।
सूत्रों ने बताया कि वर्तमान में संसद की सुरक्षा की जिम्मेवारी को वहन करने वाले संयुक्त सचिव सुरक्षा संदीप मित्तल हैं। जिन्होंने इसी साल 2017 में इस जिम्मेवारी को तब संभाला जबकि पूर्व में इस पद पर आसीन रहने वाले मध्य प्रदेश काडर के 1995 बैच के आईपीएस योगेश देशमुख ने अपना केंद्रीय प्रतिनियुक्त का अपना कार्यकाल पूरा कर लिया और वापस अपने मूल काडर चले गए। मित्तल पूर्व में जब राजधानी के नेशनल इंस्टीट्युट क्रिमनोलॉजी एंड फारेंसिक साईस लैब में तैनात थे तो उनपर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे। आरोप लगाने वाले अधिकारी ने अपने सोसाइड नोट में मित्तल के साथ लैब के तत्त्कालीन प्रमुख और यूपी काडर के वरिष्ठ अधिकारी पर जॉब रैकट तथा कन्सट्रक्शन वर्क में धांधली का आरोप लगाया था।
जानकार बताते है कि संसद जैसी महत्वपूर्ण संंस्था की सुरक्षा का प्रमुख अधिकारी का पूर्व का रिकार्ड असंदिग्ध होना चाहिए। अन्यथा किसी भी प्रकार की चूक देश को भारी पड़ सकती है।