जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली । वारदात करने के बाद विदेशों में शरण लेने वाले अपराधियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। जस्टिस अरुण मिश्र व एमएम शांतनागोदार की बेंच ने कहा कि कोई देश छोड़कर भाग जाता है और सरकार केवल खानापूर्ति में लगी रहती है।
सुप्रीम कोर्ट का रुख बेहद तल्ख रहा। इस तरह के मामलों की सुनवाई में बार-बार वकील बदले जाने पर भी बेंच ने कड़ा रुख दिखाया। अदालत का कहना था कि ऐसा फिर हुआ तो विदेश सचिव को पेशी पर बुलाया जाएगा। बुश फूड्स ओवरसीज प्रा. लि. की प्रमोटर रितिका अवस्थी के मामले में अदालत ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल मनिंदर सिंह व वकील वी मोहाना से पूछा कि पिछले आठ माह से अदालत लगातार आदेश दे रही है, लेकिन आप उन्हें तवज्जो देने के भी तैयार नहीं हैं।
बेंच ने यहां तक कहा कि लगता है कि सरकार सुप्रीम कोर्ट की परवाह नहीं करती। भगोड़े अपराधियों को वापस लाने की सरकार की मंशा पर भी केंद्र ने सवाल उठाए। मनिंदर सिंह ने जब कहा कि वह इस मामले में अथॉरिटी से जरूरी दिशा निर्देश हासिल करेंगे, तब अदालत ने सुनवाई स्थगित कर दी।
गौरतलब है कि रितिका अवस्थी पर धोखाधड़ी व जालसाजी के आरोप हैं। उसके खिलाफ उत्तर प्रदेश में मामला दर्ज किया गया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट से जमानत व विदेश जाने की अनुमति लेने के बाद वह भाग निकली। उसने अदालत से वादा किया था कि वह 31 मई तक लौट आएगी, लेकिन वह नहीं आई। फिलहाल वह लंदन में रह रही है।
अदालत के निर्देश पर उसकी 86 लाख रुपये की जमानत राशि को जब्त किया जा चुका है। उसे भगोड़ा भी घोषित किया जा चुका है। 29 अगस्त 2016 को खुद सुप्रीम कोर्ट ने माना कि रितिका ने अवमानना की है। उसने विश्वासघात भी किया है। उसे नोटिस जारी करके पूछा गया है कि क्यों न उसके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू की जाए।