जनजीवन ब्यूरो / चेन्नै । कांग्रेस अध्यक्ष की कुर्सी संभालने के बाद राहुल गांधी के लिए यह दूसरा अवतर है जो खुशी का पैगाम लेकर आया है। सोमवार को गुजरात विधानसभा चुनाव परिणाम ने कांग्रेस के लिए सुकुन भरा परिणाम लाया तो आज सीबीआई कोर्ट ने 2G मामले में सभी आरोपियों को बरी कर दिया। आज के फैसले आने के बाद कांग्रेस और बीजेपी आगे की रणनीति बनाने में जुट गई है। एक तरफ जहां अरुण जेटली ने बीजेपी के सभी प्रवक्ताओं की बैठक बुलाकर कांग्रेस के हमले का सटीक जवाब देने की रणनीति तैयार की जाएगी। वहीं, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने केस में बरी हुई कनिमोझी से बात की है। पूर्व पीएम मनमोहन सिंह की भी कनिमोझी से बात हुई है।
कनिमोझी ने पूर्व पीएम से मिलने का समय मांगा है। माना जा रहा है कि जल्द ही कांग्रेस भी आगे की रणनीति के लिए बैठक कर सकती है। इसके लिए वह DMK, SP और दूसरी विपक्षी पार्टियों के साथ मिलकर बीजेपी पर निशाना साधने की कोशिश करेगी। दरअसल, दामन से 2G घोटाले का दाग धुलने के बाद से कांग्रेस पार्टी उत्साहित है और वह बीजेपी पर हमले का कोई भी मौका गंवाना नहीं चाहती।
‘घोटाला हुआ ही नहीं…’
अदालत का फैसला आते ही डीएमके समर्थकों ने दिल्ली और चेन्नै में जमकर जश्न मनाया। कांग्रेस के कई बड़े नेता भी जोश में दिखे और राज्यसभा में हंगामा करते हुए पूर्व सीएजी विनोद राय से माफी की मांग करने लगे। राज्यसभा में कांग्रेस के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि जिस घोटाले के आरोपों पर हम विपक्ष में आए, वह घोटाला हुआ ही नहीं।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और वकील कपिल सिब्बल ने कहा- ‘जब मैंने जीरो लॉस की बात कही थी तो तत्कालीन विपक्ष और ऑनलाइन ट्रोलर्स ने मुझे निशाने पर लिया था। आज यूपीए सरकार की बात पर मुहर लगाई है।’ वहीं पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी तल्ख तेवरों में कहा कि UPA सरकार के खिलाफ दुष्प्रचार किया गया। कोर्ट के फैसले से आरोप बेबुनियाद साबित हुए। खराब नीयत से आरोप लगाए गए थे।
दूसरी ओर बीजेपी 2 जी मामले में करप्शन की बात कह रही है। वित्तमंत्री जेटली ने जोर देकर कहा कि 2G लाइसेंस आवंटन में यूपीए सरकार की तरफ से भ्रष्टाचार किया गया था।’ उन्होंने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने भी आवंटन प्रक्रिया को गलत माना था। जेटली ने तंज कसते हुए यह भी कहा कि फैसले को तमगा मानकर कांग्रेस खुश हो रही है।
सरकार को 1.76 लाख करोड़ का नुकसान?
नवंबर 2010 में CAG की रिपोर्ट सामने आने के बाद 2G मामला सुर्खियों में आया। इसमें बताया गया कि तत्कालीन यूपीए सरकार को 1.76 लाख करोड़ का नुकसान हुआ है। कई अखबारों ने छोटी हेडिंग के लिए केवल 1,76,00,00,000,000 रुपया ही लिखा था। एजेंसियों के खुलासे में सामने आया कि 2007-08 में यूपीए सरकार ने मंत्रियों और अधिकारियों ने मिलकर गैरकानूनी तरीके से 2जी स्पेक्ट्रम लाइसेंस आवंटित किए। इसमें कुछ टेलिकॉम कंपनियों को फायदा दिया गया था। इसमें तीन मामले रजिस्टर किए गए थे।
पहला- CBI ने केस में राजा और कनिमोझी को मुख्य आरोपी बताया गया। आरोप लगा कि राजा के मंत्री रहते दूरसंचार मंत्रालय ने पहले आवेदन करने की डेडलाइन 1 अक्टूबर 2007 तय की। इसके बाद आवेदन प्राप्त करने की कट-ऑफ डेट बदलने से 575 में से 408 आवेदक रेस से बाहर हो गए। दूसरा आरोप लगा कि ‘पहले आओ पहले पाओ’ की पॉलिसी का उल्लंघन किया गया। तीसरा आरोप, उन कंपनियों की योग्यता पर सवाल उठाए गए, जिनके पास कोई अनुभव नहीं था। चौथा आरोप, नए ऑपरेटरों के लिए एंट्री फी का संशोधन नहीं हुआ।