अमलेंदु भूषण खां
सारुबेड़ा : कुछ माह पहले झारखंड के सिमडेगा जिले में 11 साल की लड़की की मौत भूख से तड़प-तड़प कर हो गई थी. मरने वाली बच्ची के परिवार वालों ने आरोप लगाया था कि राशन कार्ड को आधार से लिंक नहीं करा पाने के कारण पिछले आठ महीने से उन्हें सस्ता राशन नहीं मिल रहा था. परिवार का कहना है कि संतोषी कुमारी नाम की इस लड़की ने 8 दिन से खाना नहीं खाया था, जिसके चलते बीते 28 सितंबर को भूख से उसकी मौत हो गई.
संतोषी की मां कोयली देवी का कहना है ‘मैं जब वहां चावल लेने गई तो मुझे बताया गया कि राशन नहीं दिया जाएगा. मेरी बेटी ‘भात-भात’ कहते मर गई.’
अब फिर गढ़वा जिले में मुर्दों के नाम पर राशन बांटने की खबर है. मामला गढ़वा जिले के रमकंडा प्रखण्ड के सुदूरवर्ती चेटे पंचायत की है. डीलर मुनिलाल प्रसाद के यहां से वर्षों पहले मृत तीन राशन लाभुक राशन उठा रहे हैं. मृत लोगों द्वारा राशन उठाव की जानकारी खाद्य आपूर्ति विभाग की वेबसाइट भी करता है. तीनों मामलों में यूआईडी की जगह मोबाइल नम्बर के माध्यम से ओटीपी बनाकर राशन का उठाया जा रहा है. एक तरफ जिंदा लोगों को राशन नहीं मिल रहा दूसरी तरफ मुर्दों के नाम से डीलर कालाबाजारी कर रहे हैं.
वेबसाइट से मिली जानकारी के अनुसार डीलर के यहां अंत्योदय राशन कार्ड संख्या 202000192522 से पटसर गांव निवासी महावीर परहिया की पत्नी सोनिया देवी ने ओटीपी की मदद से 19 सितंबर और 23 अक्टूबर को 35-35 किलो चावल 2.5-2.5 लीटर तेल भी लिया. जांच पड़ताल में हैरान करने वाली खबर सामने आ रही है. डीलर से राशन लेने वाली सोनिया देवी की मौत तीन साल पहले हो चुकी थी. उसके पति महावीर परहिया भी अब इस दुनिया में नहीं है. इस कार्ड में सिर्फ पति पत्नी का नाम दर्ज है. किसी और का नाम दर्ज नही है.
महावीर परहिया का बेटा भोला परहिया कहते हैं, पिता की मौत के बाद डीलर ने राशन देना उस कार्ड पर बंद कर दिया. उसने बताया कि घर के अन्य सदस्यों का दूसरा राशन कार्ड है. जिससे पीटीजी डाकिया योजना के तहत राशन मिलता है. यह इकलौता मामला नहीं है. इस इलाके में ऐसे कई मामले हैं जो बताते हैं कि कई मृत लोगों के नाम का राशन डीलर खा रहे हैं. सेडु भुइयां की मौत चार साल पहले हुई है उनके नाम का भी राशन निकल रहा है. रेनुडीह गांव निवासी त्रिवेणी भुइयाँ की मौत दो साल पहले हुई लेकिन राशन बंद नहीं हुआ. सवाल उठता है कि मरे हुए लोगों का नाम राशन कार्ड से क्यों नहीं हटाया गया.
डीएसओ जावेद अनवर इदरीसी को जब पूरे मामले की जानकारी दी गयी है तो उन्होंने जांच का भरोसा देते हुए किनारा कर लिया. उन्होंने कहा मामले की जांच की जायेगी. जांच में पुष्टि के बाद डीलर के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराया जायेगा.
राशन के लिए भटक रहे हैं लोग
मृत व्यक्तियों के नाम से चावल, तेल धड़ाधड़ निकल रहे हैं लेकिन जिंदा लोगों को राशन नहीं मिला रहा है. पिछले आठ माह से सोमारू भुइयाँ को राशन नही मिल रहा है. पूछे जाने पर लाभुक सोमारू ने बताया की जब से मशीनी व्यवस्था लागू हुआ है. तब से उसे राशन नही मिला. उसने बताया कि इसकी शिकायत बीडीओ से भी की है लेकिन अबतक कोई कार्रवाई नहीं हुई. उमेश परहिया को पिछले 7 महीने से डीलर मुनिलाल प्रसाद ने राशन देना बंद कर दिया है.
उमेश ने बताया कि करीब 7 माह पहले राशन लेने गया था. तो डीलर ने यह कहकर राशन नही दिया कि तुम्हारा राशन पीटीजी के तहत मिलेगा. प्रभात खबर ने जब इसकी भी पड़ताल की तो पता चला कि उमेश के पिता के पीटीजी राशन कार्ड में उमेश सहित उसके बच्चों का नाम दर्ज नही है. ऐसे सिर्फ एक या दो मामले नहीं है. ऐसे कई मामले प्रभात खबर की पड़ताल में सामने आये हैं. पटसर गांव निवासी भुखन भुइयाँ की पुत्री रुदन कुमारी. पटसर गांव निवासी सुनील परहिया, रेनुडीह गांव निवासी अभिषेक कुमार समेत कई नाम हैं जिन्हें कई महीनों से राशन नहीं मिला.