जनजीवन ब्यूरो / गिलगित-बाल्टिस्तान : पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के गिलगित बाल्टिस्तान में सरकार द्वारा जबरन लागू टैक्स के विरोध में प्रदर्शन तेज हो गया है। रविवार को गिलगित-बाल्टिस्तान की सड़कों में लोगों ने जमकर नारेबाजी की। अंजीमन-ए-तजनर और आवामी ऐक्शन कमिटी के आह्वान के बाद पूरे गिलगित-बाल्टिस्तान इस्लामाबाद द्वारा टैक्स के लागू किए जाने के खिलाफ क्रोधित हजारों लोग सड़क पर हैं।
प्रदर्शनकारी सरकार इस क्षेत्र पर लागू टैक्स व्यवस्था को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। स्थानीय व्यापारियों और निवासियों ने पाकिस्तान सरकार पर शक्ति के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए दुकानों के शटर गिरा दिए हैं। दुकानों और बाजारों के बंद रहने से स्थानीय अर्थव्यवस्था को झटका लगा है।
गिलगित-बाल्टिस्तान की विधानसभा में विपक्ष के नेता नवाज खान नाजी ने कहा, ‘हमारे अकाउंट से हर महीने 10 से 12 हजार टैक्स कटता है, ये टैक्स किसे मिलता है? मैं सरकार से इस टैक्स के बारे में नहीं पूछ सकता. हम जो टैक्स दे रहे हैं, उसके एवज में कोई जवाबदेही नहीं है। इसलिए यह असंवैधानिक और अवैध है।’
बता दें कि गिलगित-बाल्टिस्तान के कारोबारियों का मानना है कि पाकिस्तान अपने कब्जे वाले इस इलाके में अधिक टैक्स वसूल रहा है, जबकि यह इलाका आर्थिक दृष्टि से बेहद कमजोर है और कारोबारियों की आय भी कम है।
एक प्रदर्शनकारी आमना अंसारी ने कहा, ‘विवादित होने के बावजूद यहां टैक्स क्यों वसूला जा रहा है। यह प्रदर्शन पूरे गिलगित-बाल्टिस्तान में हो रहा है। टैक्स के मामले को लेकर सोमवार को बड़े स्तर पर प्रदर्शन होगा। आवामी ऐक्शन कमिटी और अंजीमन-ए-तजनर ने प्रदर्शन का आह्वान किा है। गिलगित-बाल्टिस्तान की सभी पार्टियां और लोग उनके साथ हैं। हम इस मसले को अंत तक लेकर जाएंगे।’
गिलगित-बाल्टिस्तान जम्मू-कश्मीर का हिस्सा है और 1947 से ही पाकिस्तान के कब्जे में है। हालांकि, पाकिस्तान पर लगातार इस इलाके को लेकर उपेक्षित रवैया अपनाने और यहां रह रहे लोगों की बुनियादी जरूरतों तक को पूरा न करने का आरोप लगता रहता है।