जनजीवन ब्यूरो / बरेली । पाकिस्तान की अफसा और बरेली के अलीशान के बीच दोनों देशों की नफरत की दीवार सामने नहीं आ सकी। बरेली के बिहारीपुर से बकायदा एक बरात लाहौर गई थी जहां दूल्हे समेत सभी मेहमानों का यादगार इस्तकबाल किया गया तो बरेली में आने पर सभी ने दुल्हन को हाथों हाथ लिया। किसी ने नजर उतारी तो किसी ने सुभान अल्लाह कहा।
बरेली के ईंट भट्टा कारोबरी वसीम इम्तियाज के 24 वर्षीय बेटे ने पड़ोसी देश पाकिस्तान के इलेक्ट्रॉनिक व्यवसायी सुहेल अख्तर की 18 वर्ष की बेटी से शादी करके मोहब्बत का पैगाम दिया है। दोनों ही परिवार देश की आजादी के बाद हुए बंटबारे के समय एक दूसरे से जुदा हो गए थे। दूल्हा मोहम्मद अलीशान वसीम के चाचा आसिम इम्तियाज बताते हैं कि हफ्जा उनके मामू अख्तर हुसैन की पोती हैं। हफ्जा की पढ़ाई लाहौर में हुई है। उन्होंने लाहौर से ग्रेजुएशन किया है।
जब से दोनों मुल्कों के बीच ताल्लुकात खराब होते गए शादियों का सिलसिला भी न के बराबर रह गया। बहुत कम लोग ही पाकिस्तान और भारत आ जा पा रहे हैं। यहां तक कि आला हजरत के उर्स में भी अब पाकिस्तान जायरीन का आना पिछले लंबे समय से नहीं हुआ। ऐसे में बिहारीपुर के ईंट भट्टा स्वामी वसीम इम्तियाज ने अच्छी नियत के साथ हिम्मत जुटाई।
बेटे मुहम्मद अलीशान वसीम की शादी लाहौर में चौहान रोड, सांधा, कृष्णानगर के पास सुहेल अख्तर की लड़की अफसा शेख से तय की। बरेली कॉलेज से बीकॉम करने वाले अलीशान एकतानगर में बॉडी पावर के नाम से जिम चलाते हैं। अफसा के दादा बंटवारे के दौरान पाकिस्तान चले गए थे। दो वर्ष पहले रिश्ता फाइनल हुआ। तभी से वसीम इम्तियाज शादी की तैयारियों में जुट गए। 100 लोगों के लिए वीजा को आवेदन किया। मिला महज 40 को। बीते दिनों जब उनका परिवार पाकिस्तान गया तो पहली मर्तबा हफ्जा को देखा था। उसी समय दोनों परिवारों ने शादी करने का मन बना लिया था। वसीम ने दो साल पहले ही बरेली कॉलेज से बीकाम किया है और बरेली के डीडी पुरम में जिम का मालिक है।
छह दिसंबर को बरात बरेली से रवाना हुई। हवाई जहाज और ट्रेन से बराती वाघा सीमा पहुंचे। 11 दिसंबर को लाहौर के हुजरा फार्म हाउस पर निकाह हुआ। 14 दिसंबर को बराती तो 25 दिसंबर को दूल्हा-दुल्हन बरेली आए। लाहौर में दूल्हा तो बरेली में दुल्हन का शानदार स्वागत हुआ।
पाकिस्तान से आई दुल्हन को देखने के लिए अब अलीशान के घर लोगों के आने-जाने का सिलसिला बना हुआ है। दो दिन पहले ही वह शहर में एक शादी में शिरकत को गईं तो वहां भी लोगों ने उन्हें हाथों हाथ लिया। दूल्हे के चाचा आसिम इम्तियाज बताते हैं कि मेरी जानकारी के मुताबिक 25 वर्ष बाद पाकिस्तान से कोई दुल्हन बरेली आई है।
दूल्हे के पिता वसीम इम्तियाज ने कहा कि अवामी रिश्ते को मजबूत बनाने की पहल की है, इस उम्मीद के साथ कि अच्छे नतीजे सामने आएंगे। चाहता हूं कि यह सिलसिला आगे बढ़े।
आसिम बताते हैं कि जैसे ही कुछ बाराती रेल मार्ग से बाघा बार्डर पहुंचे तो सरहद पर दोनों मल्कों की फौज की मौजूदगी में दोनों परिवारों ने एक दूसरे का बेहद गर्मजोशी से स्वागत किया। दोनों तरफ से फूलों की बारिश होने लगी। नव विवाहित जोड़े को सैन्य अधिकारियों ने भी मुबारकबाद दी। शादी करके जब हफ्जा अपनी नानी के साथ बरेली स्टेशन पर उतरीं तो ऐसा ही स्वागत हम लोगों ने भी किया।
बरेली के दूल्हा अलीशान वसीम ने बताया कि लाहौर जाकर ऐसा लगा कि दिल्ली या पंजाब में हूं। वहां मेहमानों से मिला तो अहसास हुआ कि वे दोनों मुल्कों के बीच अच्छे रिश्तों के तलबगार हैं। बंटवारे में बिछड़ गए रिश्तेदारों से मिलने के लिए बेकरार दिखे। काश कि दोनों मुल्कों के सियासतदां उनके इस दर्द को महसूस कर सकें। दोनों मुल्क के लोगा आसानी से एक दूसरे से मिले सके।
दुल्हन अफसा शेख ने बताया कि पाकिस्तान से मुहब्बत का पैगाम लेकर आई हूं। यहां आने से पहले मन में तमाम तरह के शक व शुबहात (आशंकाएं) थीं। अब यहां आकर ऐसा लग ही नहीं रहा कि लाहौर के बजाय हिंदुस्तान के बरेली शहर में हूं। बस, लोगों के बोलने का अंदाज जुदा है, अपनापन वैसा ही है, जैसा पाकिस्तान में है।