मृत्युंजय कुमार / नई दिल्ली । क्या एक बार में तीन तलाक पर बना बिल राज्यसभा की परीक्षा भी पास कर लेगा? गुरुवार की रात लोकसभा से बिना खास विरोध के पास होने के बाद अब सारी नजर राज्यसभा में अटक गई है। सूत्रों के अनुसार अब राज्यसभा में इस बिल को 2 जनवरी को पेश किया जाएगा । 1 जनवरी को संसद में छुट्टी है। माना जा रहा है कि ‘सॉफ्ट हिंदुत्व’ की राह पर चल पड़ी कांग्रेस को अब अपनी इमेज की खासी चिंता है, इसलिए वह राज्य सभा में इस बिल को लेकर सरकार के खिलाफ आक्रामक रवैया नहीं अपनाएगी, जिससे सरकार की राह कुछ आसान होगी।
लोकसभा से बिल के पास होने के बाद बीजेपी की अगुआई वाली केंद्र सरकार ने नरमी के संकेत भी दिए हैं। सूत्रों के अनुसार सरकार इस बिल में तमाम विपक्षी दलों की आपत्तियों पर विचार कर सकती है। लेकिन वह चाहती है कि बिल इसी सत्र में पास हो। गुरुवार को कांग्रेस सहित ज्यादातर विपक्षी दलों ने इस बिल का सपॉर्ट तो किया था लेकिन मुआवजा और क्रिमिनल ऐक्ट को जोड़ने जैसे प्रावधान पर सफाई चाही थी। सरकार के अंदर भी कुछ तर्क ऐसे आए कि बिल में सजा वाले प्रावधान पर थोड़े सुधार के विकल्प खुले हैं। बिल पर बहस के दौरान केंद्रीय मंत्री एम. जे. अकबर ने इस पहलू का जिक्र किया था। हालांकि, लोकसभा में सभी संशोधन को खारिज करते हुए बिल को पास करवा दिया गया। लेकिन राज्यसभा में सरकार के पास खुद अपना बहुमत नहीं है। यहां विपक्ष के सहयोग की जरूरत है।
ऐसे में सरकार ने विकल्पों को खुला रखा है। केंद्र सरकार में एक मंत्री ने शुक्रवार को एनबीटी से कहा, ‘अगर सुझाव संशोधन के रूप में आते हैं तो जो सरकार को बेहतर लगेगा उसे माना जाएगा। लेकिन अगर राज्यसभा में मौजूदा बिल को संशोधन के साथ पास किया गया तो उसे फिर लोकसभा में पास करना होगा। संसद का मौजूदा सत्र 5 जनवरी तक है। ऐसे में अगर सरकार संशोधन पर सहमत होती है। तो उसे राज्यसभा में जोड़कर 5 जनवरी से पहले लोकसभा में भी पास कराना होगा। हालांकि सरकार बिल को सिलेक्ट कमिटी के पास भेजने को तैयार नहीं है। सरकार विपक्ष में अगर सहमति नहीं होती तो यह आखिरी विकल्प होगा। फिर भी लोकसभा में कांग्रेस सहित अधिकतर विपक्षी दलों का रुख देखने के बाद सरकार को भरोसा है कि विपक्ष इसे सिलेक्ट कमिटी भेजने की जिद नहीं करेगा।
कांग्रेस ऐसा कोई कदम उठाने के मूड में नहीं है जिससे ऐसा संदेश जाए कि वह बिल को अटकाना चाहती है। लोकसभा में उसने बिल का विरोध नहीं किया। सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस इस बिल का मुखर विरोध न करके अपनी मुस्लिम तुष्टीकरण की इमेज से दूर जाना चाहती है। साथ ही महिला विरोधी का आरोप लगने से भी बचना चाहती है। यही वजह है कि कांग्रेस ने बिल के प्रावधानों में कमियों को रेखांकित करके चुप्पी साध ली।
लोकसभा में तीन तलाक बिल पेश करते हुए केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने रामपुर की एक महिला गुलअफ्शा का जिक्र किया था। दरअसल, इस महिला को उसके पति ने इसलिए तीन तलाक दे दिया क्योंकि वह सुबह देर से सोकर उठी थी। संसद में मामला उठने के बाद स्थानीय पंचायत ने पति गुलअफ्शा और उसके पति को बुलाया। दोनों में सहमति बनी और अब वे फिर से शादी करेंगे।