जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली । डाक्टरों पर नकेल कसने वाला नेशनल मेडिकल कमीशन बिल के विरोध में डाक्टर सड़क पर उतरे लेकिन कोई खास सफलता नहीं मिली. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की देशभर में घोषित हड़ताल बेअसर रही. सरकार ने साफ कर दिया कि वो किसी भी दबाव में आने वाली नहीं है.
हड़ताल पर मरीजों से माफी मांगते हुए IMA के नेशनल प्रेज़िडेंट डॉ. रवि वानखेड़ेकर ने कहा की ‘हमें इस बिल पर ऐतराज़ है. इस बिल का असर आने वाली नस्ल पर पड़ेगा. ये बिल अमीरों के फायदे वाला बिल है. ये बिल जन विरोधी है.’
एक तरफ सरकार कह रही है कि उन्होंने इस बिल पर सभी से कई स्तर पर चर्चा करने के बाद ही बिल को सदन में पेश किया है. लेकिन आईएमए की मानें तो सरकार की ये दलील सरासर झूठ है. डॉ. रवि वानखेड़कर के मुताबिक किसी से कोई बात नहीं हुई. जब बिल पेश हो जाता है तब सरकार आईएमए को बुलाती है. पहले क्यों नहीं बुलाया गया? नीति आयोग ये बिल ड्राफ़्ट करती है, हेल्थ मिनिस्टर को तो पता ही नहीं था. बाद में मंत्री जी के पास बिल आया. सरकार की मंशा साफ होती तो ये बिल पहले सभी MP को दिया जाता. सभी स्टेक होल्डर से बात होती.
पूर्व आईएमए प्रेज़िडेंट डॉ. के. के. अग्रवाल भी इस बिल पर सवाल उठा रहे हैं. डॉक्टरों के मुताबिक एक व्यवस्था जो सालों से चली आ रही है उसे तोड़कर आप नई व्यवस्था लाना चाहते हो. हमें नई व्यवस्था से ऐतराज नहीं है, लेकिन एक ऐसी व्यवस्था जिसके दूरगामी परिणाम होंगे उस पर मेडिकल स्टूडेंट्स, मेडिकल टीचर्स, डाक्टर्स के साथ चर्चा करनी चाहिए थी. डॉ रवि वानखेड़कर ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार को इतनी जल्दबाजी क्यों है. 2 महीने सभी स्टेक होल्डर्स से चर्चा करने के बाद भी इस बिल को बजट सत्र लाया जा सकता है. हम आपकी मदद करने के लिए तैयार हैं.
इतना ही नहीं आईएएम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी अपील की और कहा कि जब सरकार मिनिमम गवर्नमेंट और मैक्सिमम गवर्नेंस की बात करती थी तो फिर इस बिल में मैक्सिमम गवर्नमेंट है और मिनिमम गवर्नेंस.
क्योंकि 12 बिन्दू ऐसे हैं जिसमें सीधे-सीधे सरकार को अधिकार है कि वो इसे वेव ऑफ कर सकते हैं. हो सकता है इस इस सरकार की मंशा साफ होगी, लेकिन अगर दूसरी कोई सरकार आती है और उनकी मंशा साफ नहीं होती तो?
आईएमए फ़रीदाबाद की प्रेज़िडेंट पुनीता हसीजा के मुताबिक इस बिल से स्टूडेंट्स के लिए प्रोफेशन छोड़ने की नौबत आएगी. पहले प्रवेश परीक्षा फिर पढ़ाई के दौरान 16 परीक्षाएं और फिर PG के लिए परीक्षा देते हैं. अब प्रैक्टिस के लिए भी परीक्षा? अगर बच्चा किसी वजह से परीक्षा नहीं दे पाता या क्वॉलिफाई नहीं करता तो आपने उसे फिर 12 क्लास के आसपास ला खड़ा कर दिया. ये तो ग़लत है.
पहले भी मेडिकल स्टूडेंट्स अपनी पढ़ाई की वजह से करियर के तौर पर दूसरे स्टूडेंट्स या प्रोफेशन से पीछे होते हैं.
मेडिकल काउन्सिल ऑफ इंडिया के सदस्य डॉक्टर विनय अग्रवाल ने सरकार को अमीरों का हितैषी बताते हुए ये भी आरोप लगाए कि क़रीब 70 से ज़्यादा सांसद के प्राइवेट मेडिकल कॉलेज हैं. ये बिल उनके फायदे का बिल है. ये जन विरोधी बिल है इसीलिए आईएमए इस बिल का विरोध कर रही है. आपको बता दें कि इस बिल के मुताबिक मौजूदा मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की जगह नेशनल मेडिकल कमीशन बॉडी लागू करने की योजना है.