अमित / पुणे। महाराष्ट्र के पुणे जिले में भीमा-कोरेगांव की लड़ाई की 200 वीं सालगिरह के मौके पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान हुई हिंसक झड़प और आगजनी में एक युवक की मौत के पुणे, मुंबई समेत कई इलाकों में तनाव बना हुआ है.
राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने हिंसा को लेकर सुप्रीम कोर्ट से न्यायिक जांच की मांग की है और युवक की हत्या मामले की जांच सीआईडी को सौंपने का ऐलान किया है. महाराष्ट्र सरकार ने पीड़ित परिवार को 10 लाख रुपये का मुआवजा देने का भी ऐलान किया है.
गड़बड़ी की आशंका को देखते हुए मुंबई के चेंबूर सहित पूरे शहर में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है. सुबह दलित समुदाय ने कई इलाकों में लोकल ट्रेनों की आवाजाही रोक दी थी. हालांकि अब हार्बर लाइन पर स्पेशल ट्रेनों का परिचालन शुरू हो गया है जबकि सीएसएमटी-कुर्ला और मानखुर्द में भी रेल सेवा को फिर से बहाल कर दिया गया है.
पुलिस अधिकारियों ने साफ किया है कि हिंसा की आशंका को देखते हुए भारी संख्या में सुरक्षाबलों की तैनाती की गई है लेकिन चेंबूर और आसपास के इलाकों में धारा 144 लागू नहीं की गई है.
हिंसा को लेकर पुलिस ने मुंबई में अलग-अलग जगह से करीब 100 लोगों को हिरासत में लिया है. वहीं दूसरी तरफ दलितों के आंदोलन की वजह से मुंबई को पुणे से जोड़ने वाली ईस्टर्न एक्सप्रेस हाइवे पर लंबा जाम लग गया है. मुंबई में सुरक्षा के लिहाज से अधिकांश स्कूल और कॉलेजों को बंद करा दिया गया है
इस इलाके में कल से धारा 144 लगायी गयी है। रिपोर्टों के अनुसार इस हिंसा में गंभीर रूप से घायल 35 वर्षीय एक व्यक्ति की उपचार के दौरान अस्पताल में मौत हो गयी है दरअसल यहां दलित संगठनों द्वारा पेशवा बाजीराव द्वितीय की सेना पर अंग्रेजों की जीत का शौर्य दिवस मनाया जा रहा था।
एक जनवरी 1818 में कोरेगांव भीमा की लड़ाई में पेशवा बाजीराव द्वितीय पर अंग्रेजों ने जीत दर्ज की थी। अंग्रेजों की उस सेना में दलित सैनिक भी शामिल थे।
अंग्रेजों ने कोरेगांव भीमा में अपनी जीत के स्मरण में जयस्तंभ का निर्माण कराया था। बाद में यह दलितों का प्रतीक बन गया। हर साल हजारों की संख्या में दलित समुदाय के लोग यहां आकर श्रद्धांजलि देते हैं। रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (अठावले) ने कोरेगांव भीमा युद्ध के 200 साल पूरे होने पर कल एक विशेष कार्यक्रम आयोजित कराया था।