जनजीवन ब्यूरो / गुवाहाटी । नैशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस को लेकर असम में पैदा हुए तनाव के बीच मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनेवाल ने कहा है कि इस ड्राफ्ट में जिनके नाम नहीं हैं, उन्हें परेशान होने की जरूरत नहीं है। सोनेवाल ने कहा कि बाकी लोगों को उनके समुदाय या जाति के आधार पर अलग नहीं किया जाएगा और अपनी नागरिकता साबित करने का मौका दिया जाएगा।
सोनेवाल ने कहा, ‘किसी के हिंदू, मुस्लिम, बंगाली या नेपाली होने पर उससे भेदभाव करने का सवाल ही नहीं उठता। सभी को उनकी नागरिकता साबित करने का एक सा मौका दिया जाएगा, जिससे उनका नाम ड्राफ्ट में शामिल किया जा सके।’ सीएम ने कहा कि सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार काम कर रही है। जो लोग अंतिम सूची के बाद अवैध नागरिक पाए जाएंगे, उनके साथ मानवीय आधार पर व्यवहार किया जाएगा।
इससे पहले सोनेवाल ने कहा था कि उनकी सरकार उन लोगो को कोई संवैधानिक दर्जा नहीं देगी, जिनके नाम एनआरसी की अंतिम सूची में नहीं आएंगे। हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में सीएम ने कहा था कि जिन लोगों का नाम एनआरसी की अंतिम सूची में नहीं होगा उन्हें कोई भी संवैधानिक अधिकारों के अलावा मूलभूत अधिकार और चुनाव का अधिकार भी नहीं दिया जाएगा। उन्हें सिर्फ यूएन द्वारा तय किया गया मानवीय अधिकार होगा, जिसमें उन्हें कुछ समय तक रहने के लिए जगह, खाना और कपड़े मुहैया कराए जाएंगे।