जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली । आधार डेटा लीक होने की खबरों के बीच सरकार इसकी सुरक्षा के लिए पुख्ता इंतजाम करने में जुट गई है। इसके तहत यूआईडीएआई हर आधार कार्ड की एक वर्चुअल आईडी तैयार करने का मौका देगी। इससे आपको जब भी अपनी आधार डिटेल कहीं देने की जरूरत पड़ेगी, तो आपको 12 अंकों के आधार नंबर की बजाय 16 नंबर की वर्चुअल आईडी देनी होगी। यूआईडीएआई के मुताबिक वर्चुअल आईडी जनरेट करने की यह सुविधा 1 जून से अनिवार्य हो जाएगी।
इस वर्चुअल आइडी को आधार नंबर की जगह विभिन्न सेवाओं में उपयोग किया जायेगा। इससे आधार नंबर धारकों के पास यह विकल्प होगा कि वे अगर न चाहें तो अपना आधार नंबर किसी के साथ साझा न करें और वर्चुअल आइडी का उपयोग करते हुए सेवाओं का लाभ ले सकें। यह वर्चुअल आइडी पूरी तरह से 12 अंकों के आधार नंबर के विकल्प के रूप में काम करेगा।
इस वर्चुअल आईडी को कोई आधार कार्ड धारी शख्स यूआइडीएआइ की वेबसाइट से जेनरेट कर सकता है। वर्चुअल आईडी 16 अंकों की एक संख्या है, जिसे किसी सेवा के लिए तुरंत भी जेनरेट किया जा सकेगा। कोई आधार कार्ड धारी महिला या पुरुष कई वर्चुअल आईडी बना सकता है, लेकिन जब वह नया वर्चुअल आईडी बनायेगा तो पुरानी आईडी खुद ही रद्द हो जायेगी। वर्चुअल आइडी को सेवाओं के लिए अंगुलियों का निशान देने के समय दिया जा सकेगा।
यूआईडीए के मुताबिक वर्चुअल आईडी की सुविधा पहली मार्च से आ जाएगी और 1 जून से इसको पूरी तरह से लागू कर दिया जाएगा। इसका मतलब ये है कि 1 जून से सभी एजेंसियों को इसे लागू करना ही होगा। इसके बाद कोई भी वर्चुअल आईडी स्वीकार करने से मना नहीं कर पाएगा।
12 अंक अब आपकी पहचान हैं लेकिन इस पहचान पर ही सवाल उठता रहा है। जी हां हम बात कर रहे हैं आधार की। इससे जुड़ी सुरक्षा को लेकर तमाम राजनीतिक दल और गैर सरकारी संगठन केंद्र सरकार पर संजीदा न होने के आरोप लगाते रहे हैं। आधार के डेटा बेस की सुरक्षा और आम लोगों की निजता भंग होने के खतरे को लेकर चिंताएं जताई जा रही हैं। सर्वाधिक सुरक्षित योजना के तहत आने वाला यूनिक आईडेंटिफिकेशन या आधार कार्ड का डेटा लीक होने को लेकर हाल ही में खूब हाय-तौबा मची।
सरकार के मुताबिक पहचान नंबर को इनकम टैक्स रिटर्न्स से जोड़ने की जरूरत, व्यवस्था को बेहतर ढंग से लागू करने और धोखाधड़ी को रोकने के लिए है। लेकिन समय समय पर इस सवालिया निशान जरूर उठे हैं। कहा जाता है कि भारत का बायोमेट्रिक डाटा बेस दुनिया का सबसे बड़ा डाटाबेस है। एक आंकलन ये भी है कि भारत की 90 फीसद आबादी की पहचान सरकार के पास मौजूद है या यूं कहें कि अति सुरक्षित डेटा सेंटरों में एकत्रित हैं। अपनी इस पहचान देने के बदले में लोगों को 12 अंकों की एक संख्या दी गई है।
बीते कुछ सालों में आधार का दबदबा इतना बढ़ा है कि इसने लोगों के जीवन को प्रभावित करना शुरू कर दिया। कहा जाने लगा कि ये आम नागरिक को मजबूत बनाने के बजाए लोगों की निगरानी करने का हथियार बन गया। लेकिन अब सरकार इस मामले को लेकर संजीदा है और कदम उठाने शुरू कर दिए हैं।