जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से सोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर केस की सुनवाई करने वाले सीबीआई के स्पेशल जज बीएच लोया की पोस्टमार्टम रिपोर्ट मांगी है। कोर्ट ने कहा कि यह बेहद गंभीर मामला है। कोर्ट में दो पिटीशन लगाई गईं हैं, जिनमें इस केस की अलग से जांच कराने की मांग की गई है। इनमें से एक पिटीशन महाराष्ट्र के जर्नलिस्ट बीआर लोन ने और दूसरी कांग्रेस लीडर तहसीन पूनावाला ने दायर की है। कोर्ट इस मामले में अगली सुनवाई सोमवार को करेगा।
लोया 1 दिसंबर 2014 को नागपुर में अपने कलीग की बेटी की शादी में जा रहे थे, तभी हार्ट अटैक से उनकी मौत हो गई थी। पिछले साल नवंबर में लोया की मौत के हालात पर उनकी बहन ने शक जाहिर किया। इसके तार सोहराबुद्दीन एनकाउंटर से जोड़े गए। इसके बाद यह केस मीडिया की सुर्खियां बना।
जर्नलिस्ट बीआर लोन ने अपनी पिटीशन पर तत्काल सुनवाई की मांग की थी। उनका कहना है कि लोया की रहस्यमयी मौत की जांच कराने की जरूरत है, ताकि सच दुनिया के सामने आ सके।
गुरुवार को ही दोपहर बाद कांग्रेस लीडर तहसीन पूनावाला की ओर से उनके वकील वरिंदर कुमार शर्मा ने भी एक पिटीशन दायर कर मामले की जांच की मांग की। उनका कहना है कि जज की मौत “सवालों के घेरे में, संदेहास्पद और विरोधाभासी है।”
इस पर चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच फौरन सुनवाई के लिए राजी हो गई। बॉम्बे लॉयर एसोसिएशन ने भी बॉम्बे हाईकोर्ट में 8 जनवरी को एक पिटीशन दायर करके इस मामले की जांच कराने की मांग की है।
सीबीआई के मुताबिक गुजरात के आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) ने सोहराबुद्दीन शेख और उसकी पत्नी कौसर बी को उस वक्त अगवा कर लिया था जब वे हैदराबाद से महाराष्ट्र के सांगली जा रहे थे। नवंबर 2005 में गांधीनगर के करीब उसकी कथित फर्जी एनकाउंटर में हत्या कर दी गई। यह दावा किया गया कि शेख के पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के साथ संबंध थे। पुलिस ने दिसंबर 2006 में मुठभेड़ के चश्मदीद गवाह और शेख के साथी तुलसीराम प्रजापति की भी कथित तौर पर गुजरात के बनासकांठा जिले के चपरी गांव में हत्या कर दी। अमित शाह तब गुजरात के गृह राज्यमंत्री थे। उन पर दोनों घटनाओं में शामिल होने का आरोप था।
अमित शाह समेत कई आरोपी हो चुके बरी?
सोहराबुद्दीन एनकाउंटर केस को 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र की ट्रायल कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया था। 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने प्रजापति और सोहराबुद्दीन शेख के केस को एक साथ जोड़ दिया।
पहले इस केस की सुनवाई जज जेटी उत्पत कर रहे थे, लेकिन 2014 में अचानक उनका तबादला कर दिया गया था और फिर केस की सुनवाई जज बीएच लोया ने की।
सोहराबुद्दीन एनकाउंटर केस में बीजेपी के प्रेसिडेंट अमित शाह, राजस्थान के गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया, राजस्थान के बिजनेसमैन विमल पाटनी, गुजरात पुलिस के पूर्व चीफ पीसी पांडे, एडीजीपी गीता जौहरी, गुजरात पुलिस के ऑफिसर अभय चूडासम्मा और एनके अमीन को बरी किया जा चुका है। पुलिस अफसरों समेत कुल 23 आरोपी के खिलाफ अभी भी जांच चल रही है।