जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली । भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद(आईसीएआर) किसानों को किसानी के लिए जरूरी समान बेचने वाले वितरकों को पढ़ाने के पाठ्यक्रम को तैयार कर रहा है. वितरकों को पढ़ाने की इस योजना का मकसद डीलरों को पढ़ा कर इस लायक बनाना है ताकि वो किसानों को वक्त जरूरत पर किसानी के लिए आवश्यक जानकारी मुहैया करा सके. इससे जहां एक ओर किसानों को किसानी में आ रही दिक्कतों का समाधान मिल जाएगा वहीं दूसरी ओर जानकारी का उपयोग कर वह अपने पैदावार बढ़ा कर अपनी आमदनी भी बढ़ा सकेंगे.
मोदी सरकार की यह मुहिम गुजरात चुनाव के बाद शुरू हुई जहां उसे किसानी करने वाले ग्रामीण वासियों से काफी कम वोट मिले है. इसी के चलते कांग्रेस ने ग्रामीण वोटरों पर अपनी बढ़त बना कर भाजपा और अपने बीच के अंतर को काफी कम किया. गुजरात चुनाव परिणामों के बाद से ही मोदी सरकार किसान और किसानी के लिए विशेष ध्यान दे रही है. इसी क्रम में आशा की जा रही है कि आने वाले बजट में कृषि और किसानों के लिए विशेष रियायत मिल सकती है.
सूत्रों के अनुसार मोदी सरकार पर 2019 के लोकसभा चुनाव में किसानों को अपने पक्ष में बनाए रखने का बहुत दबाव हो गया है. मोदी सरकार की योजनाओं से फिलहाल किसानों को राहत नहीं मिल पा रही है. किसानों की आत्महत्या दर में कमी नहीं आ रही है. कर्जा बढ़ रहा है. वहीं दूसरी ओर किसानों के कल्याण की पीएम मोदी बड़े—बड़े मंचों से बाते करते रहते हैं. लाल किले की प्रचीर से भी उन्होंने किसानों की आमदनी को दोगुनी करने की बात कही थी. परंतु जमीन में अभी तक किसानों की हालात में सुधार नहीं आया है.