जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कई राज्यों में फिल्म ‘पद्मावत’ पर लगाए गए बैन को लेकर फटकार लगाई है और बैन को हटा दिया है. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया दीपक मिश्रा ने कहा कि जब बैंडिट क्वीन रिलीज हो सकती है तो ये फिल्म क्यों रिलीज नहीं हो सकती. सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि दीपिका पादुकोण, शाहिद कपूर और रणवीर सिंह की ‘पद्मावत’ अब पूरे देश में एक साथ रिलीज होगी. ‘पद्मावत’ 25 जनवरी को रिलीज होनी है. रिलीज से पहले ही राजस्थान, हरियाणा, मध्य प्रदेश व अन्य राज्यों में फिल्म के रिलीज पर बैन लगाया था. वहीं फिल्म निर्मातों ने अपनी याचिका में इस बैन को गैरकानूनी बताया.
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया दीपक मिश्रा ने कहा कि जब बैंडिट क्वीन रिलीज हो सकती है तो पद्मावत फिल्म क्यों रिलीज नहीं हो सकती. जब संसद ने वैधानिक तौर पर सेंसर बोर्ड को जिम्मेदारी दी है और बोर्ड ने फिल्म को सर्टिफिकेट दिया है तो कानून व्यवस्था का हवाला देकर राज्य कैसे फिल्म पर बैन लगा सकते हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि फिल्म चाहे बॉक्स ऑफिस पर बम साबित हो या लोग तय करें कि वो इसे नहीं देखेंगे लेकिन राज्य अपनी मशीनरी को इस तरह फिल्म का रिलीज पर रोक लगाने के लिए नहीं कर सकता.कोर्ट ने कहा कि कानून व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी राज्यों की है.
सुप्रीम कोर्ट में फिल्म निर्माता की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने अभिव्यक्ति की आज़ादी की दुहाई देते हुए कहा कि किसी दिन मैं दलील भी दूं कि कलाकारो को इतिहास से छेड़छाड़ का हक भी है.
हरियाणा सरकार की तरफ से पेश हुए ASG तुषार मेहता ने आपत्ति जताते हुए कहा कि नहीं. ऐसा अनुचित होगा. आप इसकी आड़ में महात्मा गांधी को व्हिस्की के घूंट भरते हुए नहीं दिखा सकते.
गुजरात, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश और राजस्थान ने फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगा दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने बाकी राज्यों से कहा है कि वे इस तरह बैन के आदेश जारी न करें. निर्माता और फिल्म स्टारों को सुरक्षा दी जाए.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जब सेंसर बोर्ड ने सेंसर सर्टिफिकेट जारी किया है तो राज्यों को बैन करने का कोई अधिकार नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब सेंसर बोर्ड ने सर्टिफिकेट जारी किया तो बैन करने का राज्यों को कोई अधिकार नहीं और इस मामले में चारों राज्यों को नोटिस जारी किया है. इस मामले में अगली सुनवाई 26 मार्च को होगी.
वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने दलील दी कि कानून व्यस्था को लेकर फिल्म की रिलीज रोकना ये कोई आधार नहीं हो सकता. सेंसर बोर्ड ने देशभर में फिल्म के प्रदर्शन के लिए सर्टिफिकेट दिया है. ऐसे में राज्यों का पाबन्दी लगाना सिनेमेटोग्राफी एक्ट के तहत संघीय ढांचे को तबाह करना है.
हरीश साल्वे ने कहा कि राज्यों को ऐसा कोई हक नहीं है और ये अधिकार केंद्र का है. लॉ एंड आर्डर की आड़ में राजनीतिक नफा नुकसान का खेल हो रहा है. फ़िल्म के जारी होने से पहले ही पाबन्दी का ऐलान करना गलत है.
गुजरात और हरियाणा सरकार की तरफ से पेश हुए ASG तुषार मेहता ने कहा कि मामले की सुनवाई सोमवार तक टाली जाए. उन्होंने कहा कि उन्हें राज्य सरकारों की तरफ से इस मामले में जवाब दाखिल करने है और याचिका की एडवांस कॉपी उन्हें नहीं दी गई है.